tag:blogger.com,1999:blog-971090773022737936.post4555159197547409552..comments2023-11-02T13:25:07.215+05:30Comments on रांचीहल्ला: राइट टू फननदीम अख़्तरhttp://www.blogger.com/profile/17057642640754937106noreply@blogger.comBlogger6125tag:blogger.com,1999:blog-971090773022737936.post-50020701788544236492008-09-07T01:36:00.000+05:302008-09-07T01:36:00.000+05:30monikaa ji,aurton ki barabari ki baat karnaa aur b...monikaa ji,aurton ki barabari ki baat karnaa aur baat hai...use apni zindgi ke vyavahaar men shaamil karnaa aur baat ....hamame se kisi ki bhi bahan rah me kisi se baate karti nazar aa jaaye... hamaari asliyat turat baahar aa jaati hai ...hamame se kisi ki biwi oonche swar me aawaaz nikaale hamaara pauroosh jaise jaag jaataa hai... lekhakho ki baato ka bharosaa kyaa... kisi ke bhi ghar me jhaakiye ...wahi sab kuch hai.. kahin daba-dhanka.. kahin ooghdra- nanga.... sach sirf-v-sirf yahi hai ki aurat ko hamne vastoo maanaa hai ...khud aurat ne bhi apne-aap ko waisaa hi banaa liyaa hai ...sundar..saaf-soothri...goyaa ki sajakar rakhne laayak ..ya pakakar khane laayak ....!!mai hairan hu magar mai kya kar saktaa hu,kyunki mai to bhoot hun !!!राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ )https://www.blogger.com/profile/07142399482899589367noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-971090773022737936.post-59679111578922361392008-09-06T21:01:00.000+05:302008-09-06T21:01:00.000+05:30आप लड़कों के लिए योग्य होने की शर्त रखते ह...आप लड़कों के लिए योग्य होने की शर्त रखते हो . जॉब में होना चाहिए . अच्छी पगार वाला होना चाहिये . क्या कोई किसी जोब्लेस यूथ से शादी कर सकती है . नही न. तो मोनिका जी फिर क्या ग़लत है कि सुपर वूमन कोई चाहता हो.इसमे हर्ज़ ही क्या है, सारी योग्यताएं लड़कों में ही क्यों देखी जाए. लड़कियों में क्यों नही?sunil choudharyhttps://www.blogger.com/profile/07064486614818459881noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-971090773022737936.post-39381185602897675922008-09-03T16:51:00.000+05:302008-09-03T16:51:00.000+05:30विष्णु जी आपने मुद्दा तो बहुत प्रासंगिक उठाया है औ...विष्णु जी आपने मुद्दा तो बहुत प्रासंगिक उठाया है और लेख के माध्यम से अपनी बात को बखूबी स्थापित भी किया है. लेकिन अफ़सोस की बात तो यह है की आपकी तरह सोच रखने वाले लोग ही कितने है इस समाज में. लोग बातें तो बड़ी बड़ी करते है लेकिन जब अपनी बेटियों, बहनों और पत्नियों को स्वतंत्रता देने की बात आती है तो उनका रवैया भी उन लोगो से कुछ अलग नही होता जो लड़कियों के विकास के मार्ग में तरह तरह की अटकले लगाते है . इसलिए यदि सही मायने में लड़कियों का विकास करना है तो पहले इस समाज के लोगो को अपनी कथनी और करनी के अन्तर को समाप्त करना होगा.मोनिका गुप्ताhttps://www.blogger.com/profile/10069296901095370760noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-971090773022737936.post-57736916078287202812008-09-03T13:00:00.000+05:302008-09-03T13:00:00.000+05:30इस ब्लॉग पर विष्णु जी का लेख एक सुखद अनुभूति है. उ...इस ब्लॉग पर विष्णु जी का लेख एक सुखद अनुभूति है. उन्होंने जो मुद्दा उठाया है वह भी गंभीर है. पर संसद मे अबतक महिला आरक्षण बिल पास नही हो सका है इसे भी याद रखना होगा.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-971090773022737936.post-79527939457792003762008-09-03T10:32:00.000+05:302008-09-03T10:32:00.000+05:30असल में भारत में इतनी अनपढ़ता है कि यहाँ किसी लड़क...असल में भारत में इतनी अनपढ़ता है कि यहाँ किसी लड़की को बाइक चलता देख कुछ तथाकथित मर्द अपने अन्दर छुपी मर्दानगी दिखाने लगते हैं. इसमें सबसे ज़्यादा दोष अगर किसी का है, तो वो है उन संगठनो का जो वैलेनटाइन-डे और फ्रेंडशिप-डे वगैरह के विरोध में पार्कों में उत्पात मचाने के लिए निकल पड़ते हैं. असल में इन लोगों को हमारी मां-बहनों की इज्ज़त नीलाम करनी होती है, जिसके चलते ये लोग सरेआम पार्क या सार्वजनिक जगहों पर धावा बोल कर व्यक्ति की स्वंत्रता का अपहरण करते हैं. ऐसे लोगों को अगर वास्तव में महिलाओं-लड़कियों की इज्ज़त का ख़याल है, तो ये लोग सड़क के मनचलों और बुढापे की दहलीज़ पर कदम रख रहे मूर्ख तथा संस्कार से कंगाल लोगों की बेतरह धुनाई क्यों नहीं करते? उस वक्त कहाँ घुस जाती है, बजरंग दल, जमात-ऐ-इस्लामी, विश्व हिंदू परिषद् आदि संगठनो की 'मर्द रोगनी'. असल में इन सभी संगठनों को सिर्फ़ आसान टारगेट चाहिए, जिससे इन संगठनों से जुड़े कथित मर्द अपनी मां-बहनों की इज्ज़त नीलाम कर सकें. इनका ध्येय कभी भी समाज को सभ्य या सुशिक्षित अथवा संस्कारवान बनाना नहीं है, ये कायर लोग हैं जिनका मूल मकसद है भोग. मैं विष्णु जी की इस बात से पूरी तरह सहमत हूँ कि सड़क पर बाइक या कार चलाते हुए कोई औरत या लड़की गुजरती है तो अगल-बगल खड़े लोग घूर-घूर कर देखते हैं, कमेंट्स करते हैं. ऐसे लोगों को पकड़ कर सड़क पर ही मुर्गा बना देना चाहिए और हर आती जाती लड़कियों से इन पर थुकवाना चाहिए, तभी सभ्य होगा हमारा समाज क्योंकि भारत और भारत के अनपढ़ लोगों को प्यार की भाषा समझाना सबसे बड़ी मूर्खता है.नदीम अख़्तरhttps://www.blogger.com/profile/17057642640754937106noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-971090773022737936.post-83737899173827171612008-09-02T17:32:00.000+05:302008-09-02T17:32:00.000+05:30नदीम भाई-सारे राईट तो ठीक हैं,पर है एक हमारा राईट,...नदीम भाई-<BR/>सारे राईट तो ठीक हैं,<BR/>पर है एक हमारा राईट,<BR/>'वोटिंग राईट',<BR/>वैधानिक रूप से हमारा,<BR/>होता है पर इस से-<BR/>नेताओं का वारा-न्यारा.प्रमोदhttps://www.blogger.com/profile/01116853763667958046noreply@blogger.com