नदीम अख्तर
तेज़ी से बदलते हालात ने कश्मीर में नयी संभावनाओं के दरवाज़े खोले हैं। कई आतंकी गतिविधियों के कारण देश के सबसे बदतर राज्य में शुमार होनेवाले जम्मू-कश्मीर में आज तेज़ी से हालात बदलते नज़र आ रहे हैं। सीमा पार आतंकवाद में आयी कमी और एक के बाद एक आतंकियों के पकड़े जाने या फ़िर मुठभेड़ में ढेर होने के कारण इस राज्य में दहशत के सौदागरों की संख्या कम हुई है। यही वजह है कि अब कश्मीर की वादियों में फ़िर से सैलानियों की धमाचौकड़ी सुनने को मिल सकती है। दरअसल, जम्मू-कश्मीर में हिंसा की वारदातों में कमी आने के बाद यहां फिल्म निर्माताओं, निवेशकों, सैलानियों और बड़े उद्योगपतियों ने रुचि दिखानी शुरू की है। राज्य में अंतरराष्ट्रीय निवेशकों ने निवेश की इच्छा जतायी है। इसकी शुरूआत राज्य विद्युत विकास कार्पोरेशन (पीडीसी) में निवेश से हो रही है। राज्य सरकार के आर्थिक सलाहकार हसीब द्रबु के अनुसार पीडीसी इसके लिए तैयारियों में जुटी है। पीडीसी 20 हज़ार मेगावाट बिजली का उत्पादन करके भारत का सबसे बड़ा बिजली उत्पादक बनने की क्षमता रखता है। मार्च में ही दुनिया की 12 बड़े निवेशक एक गुट के रूप में वैकल्पिक निवेश स्थलों की तलाश में भारत आए थे। उन्होंने कश्मीर में तीन दिन बिताये। पनबिजली के अलावा उन्होंने राज्य की वित्तीय सेवाओं में भी निवेश करने की इच्छा ज़ाहिर की है। वैसे आधिकारिक तौर पर यह कहा जा रहा है कि राज्य सरकार इस तरह के नियम बना रही है जो विदेशी निवेशकों के लिए भी लाभकारी सिद्ध हों। विदेशी कंपनियों ने लघु और मध्यम उद्योगों में निवेश करने की संभावनाओं पर भी विचार किया है, जिसमें तीन से पांच साल के बीच ही बाज़ार तक पहुंचने की क्षमता हो। सीमा के दोनों ओर होने वाले समझौते के लिए पूरी तैयारी कर ली गयी है और पाकिस्तान की नयी सरकार के दफ्तर संभाल लेने के बाद ऐसे कयास लगाये जा रहे हैं कि इस संदर्भ में बातचीत जल्द ही शुरू होगी। इसके अलावा, केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री जयराम रमेश की मानें तो इन गर्मियों से कश्मीर की सीमा पर दोनों ओर से व्यापार शुरू होने की पूरी उम्मीद है। दूसरी ओर राज्य में बदलते हालात की गवाही कुछ विकास कार्यों की आधारशिलाओं से भी मिलती है। श्रीनगर के नज़दीक पांपोर में अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेला केंद्र की आधारशिला मार्च के अंतिम सप्ताह में रखी गयी। इस केंद्र पर 49 करोड़ डॉलर का खर्च आने की उम्मीद है। सरकार ने राज्य के कारीगरों को फ़ायदा पहुंचाने के लिए 85 करोड़ रुपये की एक परियोजना भी तैयार की है।
कश्मीर में आतंक के सौदागरों की कम होती संख्या के कारण ही कुछ सृजनात्मक कार्यों में गति आयी है। राज्य पुलिस के अनुसार कश्मीर में अब सिर्फ 450 आतंकी सक्रिय हैं। पिछले साल पुलिस, अर्द्धसैनिक बलों और सेना ने लगग 460 आतंकवादियों को मार गिराने का दावा किया था और आतंकवादियों के सफाए का यह अभियान वर्ष 2008 में भी जारी है। पुलिस रिकार्ड के मुताबिक फरवरी और मार्च (2008) के दौरान कश्मीर घाटी में घुसपैठ करने की कोशिश करते दर्जन भर आतंकवाद मुठभेड़ के दौरान मारे गये। डीजीपी कुलदीप कुंडा कहते हैं कि माना जा रहा है अब केवल 450 आतंकवादी ही कश्मीर में सक्रिय हैं। हम उनकी गिनती नहीं कर सकते हैं, लेकिन उनकी उपस्थिति इतनी ही है और इसमें सूचीबद्ध और गैरसूचीबद्ध आतंकवादी भी शामिल हैं। पुलिस के अनुसार आतंकवादी संगठन हिजबुल मुजाहिदीन के भी सैकड़ों आतंकवादियों को हिरासत में लिया जा चुका है। कश्मीर के आईजीपी एसएम सहिया की मानें तो पुलिस ने आतंकवादी संगठनों के शीर्ष नेताओं, उनके जिला कमांडरों और वित्त प्रमुखों को मार गिराया है। अब शीर्ष कमांडरों की संख्या 130 से 160 के बीच ही रह गयी है। वैसे पुलिस यह भी दावा कर रही है कि आतंकवादियों के खिलाफ अभियान में पुलिस को स्थानीय लोगों की भी सहायता मिल रही है। 90 के दशक में आतंकी हिंसा के चलते कश्मीर में प्रतिदिन औसतन नौ आम आदमी मारे जाते थे, लेकिन अब यह आकंड़ा दो पर आ गया है।
(आगे पढिये - बसंत का मौसम और कश्मीर, यह पोस्ट अति शीघ्र प्रकाशित करने कि कोशिश होगी.)
3 comments:
aap aacha likhate hai.ase hi likiye.
भाई नदीम जी, १९ मई को मैं भी श्रीनगर गया हुआ था. सचमुच कश्मीर अब बदल रहा है. होटल मालिको ने बताया की हर रोज़ २५-३० हज़ार सैलानी आ रहे है. कश्मीर की वादियों मी अब धमाको की जगह प्रेमी- प्रेमेकियाओं की खिलखिलाहट गूंज रही है. झील पर आप शिकार पर घूमते मस्ती करते हुए जोड़े पा सकते हो. मुग़ल गार्डन की खूबसूरती मन को सहज ही खींच रहा है. शायद येही कारन है की कहा जाता की जन्नत है ते कश्मीर में. गुलमर्ग हजारो लोगों की भीड़ तह बता रही है की अब सब शांत है. पर कभी-कभी गुन लिए हुए आर्मी को देखकर लगता है. सबकुछ ठीक नही है. पर वेकहते है आप बेफिक्रे हो कर मज़ा लो आपकी सुरक्षा के लिए हम है, श्रीनगर मी रात १२ बजे तक आराम से सैलानी अपने बीवी-बच्चों के साथ घूमते नज़र आ रहे है.
नदीम जी,
आपका बहुत-बहुत शुक्रिया कि आप पत्रकारिता से जुड़ी खबरें हम तक पहुंचाते हैं। मीडिया से जुड़े होने के चलते इस क्षेत्र से जुड़े लोगों के बारे में जानने की इच्छा हमेशा बनी रहती है। समयाभाव के चलते हालांकि नेट का बहुत इस्तेमाल नहीं कर पाता हूं, लेकिन जब भी मौका मिलता है तो ऐसी खबरों की तलाश जरूर रहती है।
सधन्यवाद
उत्साह
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