Saturday, October 18, 2008

तुम सिर्फ़ इक अहसास हो !!

तुम सिर्फ़ एक अहसास हो ........
अगर तुम्हें पाना इक ख्वाब है !!
तुम्हारी चूडियों की खनक ,
अगर मेरी जंजीरें हैं....,
तो भी उन्हें तोड़ना फिजूल है !!

अहसास का तो कोई अंत नहीं होता ,
अगरचे ख्वाहिशों का ,
कोई ओर-छोर नहीं होता !!
मौसम के बगैर बारिश का होना ,
ज्यादातर तो इक कल्पना ही होती है ,
कल्पनाओं का भी तो कोई ओर-छोर नहीं होता,
और तुम ...तुम तो खैर सिर्फ़ एक अहसास हो !!

तुम हवाओं की हर रहगुजर में हो ....
तुम हर फूल की बेशाख्ता महक-सी हो ....
साथ ही किसी चिंगारी की अजीब-सी दहक भी....
तुम ख्यालों का पुरा जंगल हो...
और जंगल का हर दरख्त भी तुम हो ....
मगर ,तुम तो सिर्फ़ एक अहसास भर ही हो !!

तुम गहन अँधेरा हो...
तुम अपार उजाला भी हो ...
तुम उदासी की गहरी खायी हो ...
खुशियों का चमचमाता आकाश भी ...
तुम जो भी हो ....

अगर तुम सिर्फ़ इक अहसास ही हो...
तो मुझमें सिर्फ़ अहसास ही बन कर रहो ना...!!!

5 comments:

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया।
घुघूती बासूती

Udan Tashtari said...

अगर तुम सिर्फ़ इक अहसास ही हो...
तो मुझमें सिर्फ़ अहसास ही बन कर रहो ना...!!!

--ये भूतनाथ को क्या हुआ कि ऐसी बेहतरीन कविता कह रहे हैं.सब ठीक ठाक तो है??

काश, रांची हल्ला हमें भी मौका देता कविता कहने का. :) (मजाक कर रहा हूँ भाई, बुरा न मानना)

Nitish Raj said...

वाह भूतनाथ जी क्या कविता लिखी है बहुत खूब।

seema gupta said...

तुम्हारी चूडियों की खनक ,
अगर मेरी जंजीरें हैं....,
तो भी उन्हें तोड़ना फिजूल है !!
"???????????????? huim bhee sameer jee kee baat se sehmet hain, mind blowing creation.... pr ye bhootnath je kub se ye janjeeron ke chakkar mey pdh gye hain, aapko bhee koee unitee jaisee bhutnee to nahee mil gyee????????????? ha h ahany way, ek shandar , behtreen , presentation"

Regards

डॉ .अनुराग said...

अगरचे ख्वाहिशों का ,
कोई ओर-छोर नहीं होता !!
मौसम के बगैर बारिश का होना ,
ज्यादातर तो इक कल्पना ही होती है ,
कल्पनाओं का भी तो कोई ओर-छोर नहीं होता,
और तुम ...तुम तो खैर सिर्फ़ एक अहसास हो !!


बहुत खूब......खूबसूरत.......आपने मन मोह लिया .....