चलते चलते रस्ते में कई दोस्त नए मिल जाते हैं
कई जन्मों के ज्यूँ साथी हों ,यु हँसते व् बतियाते हैं !!
चुपके -चुपके महफ़िल में वो हमको देखा करते हैं
पर बात हमारी आती है तो लब से लब सिल जाते हैं !!
हिज्र के मौसम में अक्सर दिल को गहराई मिलती है
इस मौसम में अक्सर कुछ गम के गुल खिल जाते हैं !!
अजब-सी तमाशा-सी दुनिया है,गरीबों का सहारा कोई नहीं
सड़कों पे देख के लौंडों को माथे पे बल पड़ जाते हैं !!
किसी से कोई राम-राम नहीं,कहीं कोई भी दुआ-सलाम नहीं
कौन स्कूलों में पढ़ते हैं और काहे को पढ़कर आते हैं !!
सब अपनी खातिर जिन्दा हैं,फ़िर गैर से क्यूँ तो रुसवा हैं
जब सब अपना धंधा करते हैं ,औरों से क्यूँ घबराते हैं !!
सब अपनी-अपनी मौज करो यारों,सब गम अपने हमें दे दो
हम तो गाफिल सबको खिलाकर बचा-खुचा फ़िर ख़ुद खाते हैं !!
कौन है हम दोनों में सबसे गहरा और सबसे बड़ा,इस बात पर
हम अक्सर साहिल पर आकर इस समंदर से ही भिड जाते हैं !!
इश्क से ज्यादा इन दिनों गैर एतबार की बात कोई भी नहीं
जन्म-जन्म की क़समें खाकर ये इसी जन्म में मुकर जातें हैं !!
कज़ा से गहरी और मुकम्मल कोई चीज़ नहीं कायनात में नहीं
अबे रूक जा ओ यमराज के बच्चे,मियाँ "गाफिल" भी आते हैं!!
3 comments:
कौन है हम दोनों में सबसे गहरा और सबसे बड़ा,इस बात पर
हम अक्सर साहिल पर आकर इस समंदर से ही भिड जाते हैं !!
इश्क से ज्यादा इन दिनों गैर एतबार की बात कोई भी नहीं
जन्म-जन्म की क़समें खाकर ये इसी जन्म में मुकर जातें हैं !!
" very very touching lines, liked reading them, last line is a universal truth presented in a very impressive manner"
Regards
bahut umda.
Ranjit
waah! bahut sahi aur sundar likha hai.
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