Tuesday, October 28, 2008

दीवाली .....ये क्या करें ??

.................दीवाली की रात बीत चली है ....दिल का उचाटपन बढ़ता ही चला जा रहा है .....सबको दीवाली की शुभकामनाएं देना चाहता हूँ....मगर वे जिनकी सामर्थ्य नहीं दीवाली मनाने की.....जो आज भी भूखे पेट बैठे ताक़ रहे हैं टुकुर-टुकुर महलों की तरफ़....वे जो बाढ़ के बाद जगह-जगह कैम्पों में अपने सूनेपन को मिटाने की कोशिश कर रहे हैं......वे जिनके रिश्तेदार देश की सीमा की रक्षा करते हुए वीरगति को प्राप्त हो गए हैं .....बच्चों के छोड गए पटाखों को चुन रहे सड़कों पर कुछ काले-कलूटे बच्चे......क़र्ज़ ना चुका पाने की वजह से आत्महत्या कर चुके किसानों के बचे हुए परिवार ......दाने-दाने को मोहताज़ करोड़ों लोग.....जो ना जाने किस क्षण काल-कलवित हो जाने वाले हैं .......ठण्ड में खुले आसमान के नीचे सोने वाले छत-विहीन लोग .....ठण्ड से बिलबिलाते ...कंपकंपाते
आसमान में फटते जोरदार पटाखों की ओर बड़ी ही हसरत से ताकते गरीब-गुर्गे ...........!!.....दीपावली .....देश का सबसे प्रमुख पर्व ........बहुसंख्यक समाज का प्रमुख पर्व .......दीवाली....लफ्ज़ के मायने संम्पन्नता का.... वैभव का प्रदर्शन ....दीवाली....मतलब अरबों-अरबों रूपये का धुंआ बनकर आसमान में क्षण भर में उड़ जाना ..... दीवाली... मतलब ...गरीबों की आंखों का फटा-का-फटा रह जाना .... उनकी हसरतों का जग जाना ...... सोचता हूँ हमें इस कदर मुकम्मल तरीके से दीवाली मनाता देख यदि इनका मन भी एक दिन मचल ही जाए तो ये क्या करेंगे .... मैं तो जो जवाब सोच रहा हूँ,सो सोच रहा हूँ.....आप ही बताये ना कि ये क्या करेंगे ?? मैं जवाब के इंतज़ार में हूँ !!!!

3 comments:

Udan Tashtari said...

यह एक कटु सत्य है मगर ऐसा ही हमेशा सा रहा है..और लोग फिर भी अपने हिसाब से दिवाली मनाते आ रहे हैं. ऐसा नहीं कि सब असंवेदनशील हैं बस इसी तरह कुछ देर को ही सही खुश ह लेते हैं.

आपको दीपावली की बहुत शुभकामनाऐं.

Dr. VIDYUT KATAGADE said...

I guess the extensive circulation (in Print and AV media about Ozone layer, Carbon Load and simply Environmental Pollution) has failed to reach the masses. They are still glued to their concept of Diwali celebration with a Bang. This'll lead our grandchildren to a point of no return. In addition to school bag, water bottle and the weekly Craft item, they will carry a mask along with an Oxygen Cylinder to breath enough of it so as to manage just STAYING ALIVE. We will never learn current ways of Diwali celebration with just one more lamp of HELP to the NEEDY ONES among us. We've to give up LAXMI POOJAN that seems tp promise too much of American Economy Model.

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

विद्युत् जी ,आपकी सोच भी वाकई अच्छी है ....अगर अच्छी चीज़ों के प्रति सभी सतर्क हो जायें ... अच्छी चीज़ों के प्रति सारे लोग एकमत होकर काम करें तो सब कुछ बदल सकता है ...मगर जाने यह कब तलक हो पायेगा .....!!