सीने में जो छुपा बैठा है॥वो भी है दर्द...
आंखों में जो सजा बैठा है...वो भी है दर्द...!!
दर्द की मेरे साथ हो गई है आशिकी इतनी...
सूखे आंसुओं से जो रोता है...वो भी है दर्द....!!
राहें आसान किया करता है सदा ही वो मिरी..
राहों में जो कांटे बिछा देता है...वो भी है दर्द....!!
जिस्म के छलनी हो जाने की आदत हो गई है....
दिल को जो छलनी करता है ...वो भी है दर्द...!!
कभी तो ख़ुद से ख़ुद को भी ऐसा भुला देता है
और जो लाज़वाब कर देता है......वो भी है दर्द...!!
इक साँस को दूसरी पर अख्तियार नहीं रहता
हर साँस धौकनी-सी चला देता है वो भी है दर्द !!
दर्द ही जैसे इक जिन्दगी की तलाश है "गाफिल"
अब तो जो मज़ा देने लगा है...वो भी है दर्द....!!
आंखों में जो सजा बैठा है...वो भी है दर्द...!!
दर्द की मेरे साथ हो गई है आशिकी इतनी...
सूखे आंसुओं से जो रोता है...वो भी है दर्द....!!
राहें आसान किया करता है सदा ही वो मिरी..
राहों में जो कांटे बिछा देता है...वो भी है दर्द....!!
जिस्म के छलनी हो जाने की आदत हो गई है....
दिल को जो छलनी करता है ...वो भी है दर्द...!!
कभी तो ख़ुद से ख़ुद को भी ऐसा भुला देता है
और जो लाज़वाब कर देता है......वो भी है दर्द...!!
इक साँस को दूसरी पर अख्तियार नहीं रहता
हर साँस धौकनी-सी चला देता है वो भी है दर्द !!
दर्द ही जैसे इक जिन्दगी की तलाश है "गाफिल"
अब तो जो मज़ा देने लगा है...वो भी है दर्द....!!
5 comments:
दर्द को बुलाओगे, दर्द ही आयेगा
ख़ुशी को गले लगाना भी एक कला है
बहुत उम्दा!!
वह क्या बात कही साहब आपने बहोत खूब ,मज़ा आगया ..
" dard mey dard........."
Regards
kripya itna dard na udelen ke dard dariye ban ke behne lage. shabdon pe itne julm theek nahin.
shukriya
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