Sunday, November 30, 2008
जीवन तो है इक आग......!!
कतरा-कतरा क्या मिला....कतरा-कतरा आग
कतरा-कतरा सूर है... और कतरा-कतरा राग !!
जीवन का तो मर्म क्या समझ पाये....आदम
थोड़ा-सा तो कर्म है और थोड़ा अपना "भाग" !!
इतना सपना मत देख..सपना इतना सच नहीं
सच तो सामने है देख..आँखे खोल और जाग !!
हाँ भइया मुश्किल तो बहुत है जीना मेरे प्यारे
लेकिन मुश्किल में जीना ही तो जीवन का राग !!
अजीब है ये जीवन कि कुछ लोग तो हैं खुशहाल
कुछ लोगों का बेहाल, और दामन भी है चाक !!
राख हो रहे हैं हर पल ख़ाक हो जाने को हैं अब
साँस-साँस हम जलें और हर धड़कन है इक आग
सुबह से शाम तक हर वक्त की यूँ ही है भाग-दौड़
ये भी कोई जीवन है"गाफिल",ये तो है खटराग !!
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4 comments:
कतरा-कतरा क्या मिला....कतरा-कतरा आग
कतरा-कतरा सूर है... और कतरा-कतरा राग !!
--बहुत बढ़िया.
हाँ भइया मुश्किल तो बहुत है जीना मेरे प्यारे
लेकिन मुश्किल में जीना ही तो जीवन का राग !!
बहुत सही बात...दोहे बड़े अच्छे लगे...
नीरज
जीवन का तो मर्म क्या समझ पाये....आदम
थोड़ा-सा तो कर्म है और थोड़ा अपना "भाग" !!
सुबह से शाम तक हर वक्त की यूँ ही है भाग-दौड़
ये भी कोई जीवन है"गाफिल",ये तो है खटराग !!
Achcha likha hai.
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