Wednesday, December 10, 2008

प्रेम अजर है..प्रेम अमर है....!!



प्रेम अजर है...प्रेम अमर है.....!!


प्रेम अमर है....और अजर है.....
प्रेम है पूजा...इसमें असर है....!!
प्यार में डूबे....वो ही जाने....
इसका कितना गहरा असर है!!
नाम किसी का लेते ही हो...
जाता है साँसों पे असर है...!!
आँख से आँख मिलते ही इक
आग का हो जाता गो बसर है!!
तूफां में इक किश्ती हो जैसे
आती-जाती हर-इक लहर है !!
प्रेम में जीना हो या मरना....
"गाफिल"अमृत या कि ज़हर है !!

2 comments:

रंजना said...

वाह ,बहुत ही सुंदरता से आपने प्रेम के स्वरुप का बखान किया है.

ghughutibasuti said...

बहुत बढ़िया !
घुघूती बासूती