Monday, January 19, 2009

क्या करें िशक्षक

सुपऱीम कोटॆ ने एक बार िफर कहा िक छातऱों की िपटाई टीचर नहीं कर सकते। मेरे मन में एक सवाल है िक क्या टीचर का काम िसफॆ पढ़ाना है। हमने िजस स्कूल में िशक्षा ली वहां हमें अनुशासन का पाठ भी कूट-कूट कर पढ़ाया गया। यही अनुशासन जीवन को एक धारा पऱदान करता है। जीवन में अनुशासन की क्या महत्ता है िकसी अनुशासनहीन से पूछ कर देिखए हो सकता है उस वक्त वह अापको कोई एेसा जवाब दे िजसकी अाप कल्पना भी नहीं करते हों। यह अनुशासन एकबारगी नहीं ्ाता। बच्चा घर से ज्यादा वक्त स्कूल और स्कूल की गितिविधयों में िबताता है। सीखने का सबसे ज्यादा अवसर उसके पास उसी वक्त होता है। अाप फजॆ करें िक बच्चा बहुत जीिनयस है और अनुशानहीन है। उसे व्यावहािरक ग्यान न के बराबर हो, बड़े-बुजुगॆ के पऱित अनादर हो, और भी तमाम चीजें हों िजन्हें माता-िपता अपने बच्चे में न देखना चाहते हों तो क्या अाप उस बच्चे को समाज के िलए उपयोगी मानेंगे।
इन िदनों बड़े और मंझोले शहरों के माता-िपता दोनों कामकाजी होते हैं(ज्यादातर)। एेसे में बच्चे के िलए वक्त िनकालना उनके िलए थोड़ा मुिश्कल होता है। उनके पास अपने िलए वक्त कम पड़ जाता है। एेसे में िशक्षकों की भूिमका और बढ़ जाती है। तो क्या उन्हें वह अिधकार नहीं िमलना चािहए जो अापके बच्चे के िहत के िलए हो। गलती करने पर अाप अपने बच्चे के कान के नीचे बजाना नहीं भूलते, तो गलती करने पर क्या िशक्षक उन्हें नहीं मार सकते। यह बात इतर है िक कभी-कभी कुछ िशक्षक हद पार कर जाते हैं िजतकी वजह से बच्चों को नुकसान पहुंचता है। पूरे देश में हजारों स्कूल होंगे पर मारपीट की चंद ही खबरें अाती हैं। अनुमानतः हजार में से एक बच्चे को हो सकता है िक िपटाई के ज्यादा नुकसान पहुंच जाता हो। पर एेसा नहीं िक िशक्षक कसाई हैं और बच्चे बकरे। स्कूल कत्लगाह, जहां बच्चों पर जम कर अत्याचार िकए जाते हों।
सवाल इस बात का है िक िशक्षक बच्चों को पीटे नहीं तो क्या करें। इस बात का कोई िदशा िनदेॆश नहीं अाया है। बच्चा क्लास में िसगरेट पीए, बच्चा क्लास में हुड़दंग मचाए, पूरी कक्षा को िडस्टबॆ करे तो िशक्षक क्या करें इस बारे में कोई िनदेॆश नहीं अाया है। मुझे लगता है िक िशक्षकों को क्लास छोड़ कर कैंटीन में बैठ अाराम से चाय पीनी चािहए। जब वह कोई कदम उठा ही नहीं सकते तो िफर पूरी क्लास को पढ़ाएंगे कैसे।
मुसीबत यहां खत्म नहीं होती। िशक्षक यिद पढ़ाएंगे नहीं तो िरजल्ट खऱाब होगा। िशक्षा महकमा से लेकर मंतऱालय तक से बात अाएगी िक फलां स्कूल का िरजल्ट खराब हो गया। िशक्षक पढ़ाते ही नहीं। वह िवभाग यह नहीं सोचता िक उसकी मुसीबतें क्या हैं। िकन परेशािनयों से उसे गुजरना पड़ता है। सुअर बकरी िगनने से लेकर पल्स पोिलयो और चुनाव की ड्यूटी में उसे लगाया जाता है और उम्मीद की जाती है िक िरजल्ट शत पऱितशत हो।
एेसे में इस िनदेॆश की भी अपेक्षा है िक इन परेशािनयों के हल के िलए भी कोई िनदेॆश अाए।

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