Wednesday, March 18, 2009

इस जज्बे को सलाम

डॉ भारती कश्यप
इन दिनो अखबार पढती हूं, तो नजर एक खबर को जरूर खोजती है। हालीवुड की अभिनेत्री और बिग ब्रदर रियलिटी शो में शिल्पा सेटठी के साथ विवादों से चर्चा में आई जेड गुडडी से जूड़ी खबरें। खबरों में कही कोई ग्लैमर नहीं एक संघर्षपूर्ण जीवन की कहानी है। 27 साल की छोटी उम्र बचपन की यादों के साथ यौवन की सीढीयॉ चढ़ने की उम्र और इसी उम्र में जेड गुडडी को स‌र्वाइकल कैंसर हो गया। मौत से जेड गुडडी जुझ रही है। लास्ट स्टेज है। जेड गुडडी की खबरे जो मिडीया में आ रही हैं बहुत चौंकानेवाली और प्रेरणा देनेवाली हैं। मौत दरवाजे पर खड़ी है। अंदर बिस्तर पर लेटी जेड गुडडी पुरे साहस से उसका मुकाबला कर रही है। मैं कैंसर की पीड़ा को स‌मझती हूं, क्योंकि मेरे परिवार में दो लोगों की मौत इसी बीमारी स‌े हो चुकी है। पहले तो मेरे दादा और दूसरे मेरे पापा। इन दोनों के अंतिम क्षणों में इन्हें जीवन के हर रंग स‌े विरक्ति हो गयी थी। पटना स्थित हमारे घर पर एक बहुत स‌ुंदर बगीचा था, जिसमें गुलाब के रंग-बिरंगे फूल हमेशा रहते थे। जब मेरे पापा को कैंसर हो गया था और मेरी दादी उस‌ बगीचे की देख-भाल किया करती थीं, तो पापा उनसे कहते थे कि आखिर क्यों देख भाल कर रही हो, क्या मिलेगा इन हरे-लाल-पीले फूलों स‌े। एक गुलाब तो तुमने अपने बेटे (यानी मेरे पापा) के रूप में स‌ींचा था, लेकिन क्या हुआ, देखा ना....। कहने का अर्थ है कि कैंसर जीवन के हर रंग को बदरंग कर देता है। अपने अंतिम स‌मय में आदमी को दुनिया की हर चीज़ बदरंग लगने लगती है। उसे स‌िर्फ मलाल रहता है, तो इस बात का कि वह अब उन लोगों के स‌ाथ नहीं रह पायेगा, जिन्हें वह अपना जीवन मानता है।
अब ज़रा जेड गुड्डी की बात करें। मौत चन्द फासले पर खड़ी है लेकिन गुडडी को कोई मलाल नहीं है। पुरा यौवन अभी जिया भी नहीं है। नाम कमाई पैसे कमाये लेकिन भोग नहीं सकी। इसका कोई अफसोस जेड गुडडी को नहीं है। जिन्दगी के चन्द लम्हें पूरी ताजगी से जी रही है। हर पल अपने दोनो बेटे पांच साल के भीबी चार साल का फ्रेडी के साथ बांट रही है। खुशियों को अपने परिवारवालो के स‌ाथ शेयर कर रही है।
एक खबर और जेड गुडडी की तस्वीर पिछले दिनों अखबार में देखी। खबर अंदर से उद्वेलित करनेवाली थी। तस्वीर में गुडडी की गहरी नीली ऑखें उसपर खूबसूरत मेकअप सफेद गाउन और वेडिंग सिरोमनी में जाती यह तस्वीर-उसके जीवन के अंतिम क्षणों को जीने का जज्बा दर्शाती है। पश्चिम के देशों भी इतना शास्वत प्रेम है बताता है। हाल के दिनों में जेड गुडडी ने अपने प्रेमी से शादी की। दोनों जानते हैं, कि उनके दाम्पत्य की डोर टूट जायेगी। कैंसर से लड़ते हुए जेड गुडडी का थका शरीर दुर्बल काया यहॉ दोनो में कोई शारीरिक लगाव नहीं दिखता अगर दिखता है तो सिर्फ मन का शास्वत लगाव। जेड गुडडी अपने आखरी क्षण में भी सारी खुशियां बांट कर जाना चाहती है। सुना है कि जेड गुडडी के मरने की रिर्काडिंग होगी। इसका कॉपीराईट किसी बड़े कम्पनी ने खरीदा है। गहराई से सोचें तो यह मामला मौत को अपने छवि के अनुरूप ग्लैमराईज करने का नहीं है। जेड गुडडी अब जो कमा रही है। वह अपने लिये नहीं उसके मौत की रिर्काडिंग उसकी एक ऐसी आखिरी फिल्म होगी जिसे वह खुद भी नहीं देख पायेगी। लेकिन मौत के मुहाने पर खड़ी जेड गुडडी उन पैसों को अपने बच्चों और परिवारवालों के लिए छोड़कर जायेगी। जेड गुडडी की दासतां दर्दनाक है लेकिन उसके हर जज्बे को सलाम है।

8 comments:

Anonymous said...

वास्तव में जेड गुडी के जज्बे को हम स‌भी को स‌लाम करना चाहिए। आपका भी धन्यवाद, जो आपने हमें उनकी ओर मुखातिब किया।

अनिल कान्त said...

unke is jajbe ko salaam

प्रेम सागर सिंह [Prem Sagar Singh] said...

नदीम जी,
जेड गुड़ी की मौत कैसर की विभत्य छवि होगी।

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

जिन्दगी किसके साथ किस प्रकार का खेल खेलती है...यह किसी को भी नहीं पता...अलबत्ता खेल पूरा हो चुकने के बाद हमारा काम उसपर रोना-पीटना या हंसना-खिलखिलाना होता है...किस बात का क्या कारण है...हमारे जिन्दा रहने या अकाल ही मर जाने का रहस्य क्या है....यह भी हम कभी नहीं जान सकते....हम सिर्फ चीज़ों को देख सकते हैं...गर सचमुच ही हम चीज़ों को गहराई से देख पाते हों....तो किसी की भी....किसी भी प्रकार की मौत हमारे इंसान होने के महत्त्व को रेखांकित कर सकती है....क्या हम सच में इस बात समझ सकने के लिए तैयार हैं......?????

मोनिका गुप्ता said...

मौत यह शब्द जीवन के लिए जितना सच है व्यक्ति के लिए उतना ही दुखदायी है। फिर चाहे वह कैंसर से हो या फिर किसी और कारण से। हां इस बात में कोई दो मत नहीं कि कैंसर से पीड़ित व्यक्ति को मौत तक पहुंचने में जितना कष्ट होता है वह असहनीय है। जेड गुडी भी ऐसी ही असहनीय पीड़ा से त्रस्त है। लेकिन उसके हौसले को देखकर आश्चर्य़ होता है जिस दौरान आदमी किसी से बात करना पसंद न करता हो, किसी को देखना न चाहता हो, मिलना न चाहता हो, किसी के सामने ना आना चाहता हो। उस दौरान जेड गुडी के द्वारा खुद को सार्वजनिक करना कितना हिम्मत भरा कदम है।

sunil choudhary said...

जन्म जितना सत्य है. मौत भी उतना ही . पर हम यह नहीं जानते की हमारी मौत कब होनी है. शायद यही कारन है कि हम उल्लास से रहते है. पर जो जान रहा हो कि कब उसकी मौत होगी वह भी कम अवधी में, मैं समझता हूँ, इससे अधिक पीडादायक कोई बात नहीं हो सकती. डॉ. कश्यप ने जेड़ गुडी और अपने दादा की जो तस्वीर पेश की है. एक मानव संवेदना को झंकझोर देने के लिए प्रयाप्त है. डॉ. कश्यप भी एक संवेदनशील लेडी है. वह बेहतर दुसरे की पीडा को समझती है. जेड़ गुडी की जीवन्तता को सलाम. बरबस ही आनंद फिल्म की याद दिला देती है. शायद गुडी भी उस आनंद की तरह शेष जीवन को उल्लास से जीना चाहती हो. हम सब कामना ही कर सकते है.

vicky said...

जिस पर बीतती है....वोही जनता है.....
सच मैं जिस पर बीतती है...वोही जनता है...जेड़ गुड्डी की जितनी भी तारीफ की जाई कम है....उसने न केवल दुनिया की सबसे मुश्किल मौत को गली लगाया है....बकली आपनी मौत को आपने bacchoon ke लिए बचा है...जेड़ गुडी जैसे अपने बच्चओं के लिए मरते मरते मीडिया को फस कर रही है वो कम हिम्मत का काम नहीं है....आप आदमी तो मौत के नाम से ही दार जाते है....ऐसे मैं..जेड़ का कैमरे के सामने मौत को गले लगाना बहूत मुश्किल है....वो अब तक साँस रही है....ये कमाल है....आपने लिखा है की आपके दादाजी की मौत को सामने देखकर क्या हालत हो गयी थी....ऐसे मैं जेड़ के जज्बे को सचमुच सलाम करने का दिल करता है....मीडिया के सामने उसे हँसता मुस्कुराता देखकर विस्वास नहीं होता की कोई आपनी मौत को सामने देखकर भी इतना नोर्मल रह सकता है....जेड़ को देखकर सुपेर्हित हिंदी फिल्म आनंद का राजेश खन्ना याद आ जाता है...जेड़ की मौत पर हम सब रोयींगे.....सच......कम से कम दुखी तो पूरी दुनिया होगी.....

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

..............दोस्तों , सबसे पहले जैक ट्वीड के उस जज्बे को हमारा सलाम.......और सच कहूँ तो इन सब घटनाओं से हममें मानवता के प्रति फिर से विश्वास पैदा हो जाता है....वो vishvas जो कम-से-कम प्रेम के अर्थों में हममे से पूरी तरह छीज चुका है.....और उसकी जगह अब हमेशा लिए एक वितृष्णा हममे जन्म ले चुकी है....दोस्तों.....ट्वीड भाई सचमुच इक मिसाल के रूप में हमारे सामने हैं....और जेड़ गुडी का साहस भी मौत पर उनके अटूट विश्वास को रेखांकित करता करता है.........जब मरना तय हो ही गया........तो रोना काहे का.......हंसते हुए क्यूँ ना मरा जाए....दोस्तों.....मैं कहना तो यही चाहता हूँ कि जब मरना तय है ही तो फिर जीकर ही क्यूँ ना मरा जाए.........आईये ना इसी बात पर हम सब जी लें........सच्चे इंसानों की तरह....जेड़ गुडी जी....ट्वीड जी...आप सबको हमारा बहुत-बहुत-बहुत प्रेम............!!