Tuesday, May 5, 2009

कुछ कहना चाहेंगे...



कभी गिरते हुए पत्ते से पूछा है, दर्द होता है डाली से बिछड़ने का
आज तुमसे बिछड़ कर जाना, क्या होता है टूट कर गिरना

2 comments:

राजीव थेपड़ा ( भूतनाथ ) said...

ye shaam mastaani..........madhosh kiye jaaye.....

नदीम अख़्तर said...

अरे क्या हो गया सौरव भाई। किससे बिछड़ने का ग़म साल रहा है।