मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!
अरे सुनो ना दद्दू.....!!
अबे....बोल बे बुद्धू....!!
एक सरकार बनाओ ना.....!!
बात क्या है,बताओ ना....!!
हमको समर्थन देना है...!!
मगर हमको नहीं लेना है....!!
ले लो ना समर्थन हमसे.....!!
अरे नहीं लेना समर्थन तुमसे....!!
लेकिन हम तो दे के रहेंगे.....!!
लेकिन हम तुमको कोई पद नहीं देंगे....!!
पद की किसको पड़ी है दद्दू...!!
तो समर्थन किस बात का बुद्दू...??
हम सांप्रदायिक सरकार नहीं चाहते....!!
और हम धर्म-निरक्षेप सांप्रदायिक कहलाते हैं....!!
तो क्या हुआ धर्म-निरक्षेप तो हैं ना...!!
लेकिन हम तो इसका अर्थ भी नहीं जानते....!!
तो क्या हुआ धर्म-निर तो हैं ना...!!
लेकिन हमने इसके लिए कभी कुछ किया ही नहीं.....!!
तो क्या हुआ धर्म-निरक्षेप तो हैं ना...
लेकिन इस धर्म-निरक्षेपता का कोई मतलब भी तो हो.....!!
अरे aapki मैडम है ना...इतना ही बहुत है.....!!
लेकिन हमारी मैडम तो सरकार चलाती नहीं....??
तो क्या हुआ वो आपको उँगलियों पर तो नचाती है.....!!
इस नाचने में दर्द बहुत गहरा है बुद्दू.....!!
और सरकार चलाने का सुख भी तो गहरा है ना दद्दू ....!!
लेकिन हमें तुझसे समर्थन नहीं लेना है भाई.....!!
लेकिन हम तुम्हारे ही साथ हैं भाई.....!!
तुम और हमारे साथ...??....अबे कैसा साथ...??
तू तो सदा हमसे लड़ता ही रहा है....!!
बाहर भी दुश्मनों का साथ ही दिया है....!!
आपको ग़लत फहमी है दद्दू.....!!
वो तो राजनीति की बिसात थी......!!
तो अब और क्या है भाई ...??
अब तो आप ही हमारे बाप हो......!!
और मैडम ही है हमारी माई.....!!
अबे तू आदमी है कि गिरगिट....??
तूने राजनीति को बना दिया है किरकिट....!!
अरे दद्दू, हम ना आदमी हैं ना गिरगिट.....!!
असल में राजनीति ही है हमारी सर्विस.....!!
अपनी रऔ में जब हम आ जाते हैं...!!
देश को भी पका कर खा जाते हैं....!!
तुम भी तो दद्दू हमारी ही जात के हो.....!!
आज थोड़ा दम हो गया hai तो.....
हमही से दायें-बाएँ होने लगे......!!
दद्दू......कुछ आगे का भी देख लो...
अपना भला-बुरा का भी सोच लो.....!!
कुछ महीनों में ही तेरे परिवार के लोग.....
तेरी नैया डूबोने लगेंगे....!!
और तब तू और तेरी मैडम.....
हमें खोजने निकल पड़ेंगे......!!
अरे हाँ मेरे बच्चे......कहता तो तू ठीक है!!!
अरे बुद्दू ,मैं तो तुझसे मज़ाक कर रहा था.....!!
कोई सीरिअस थोड़ा ना कह रहा था....!!
आ जा मेरे बच्चे,मेरे गले लग जा.....!!
मेरी गोद में आकर बैठ जा.....!!
अरे वाह मेरे दद्दू.....!!
तुम तो काफी समझदार हो गए हो.....!!
अरे पुत्तर.......!!
साठ सालों की उम्र का है यह असर.....!!
इसी समझदारी से तो हमने तय किया है....
राजनीति का यह दुश्वार सफर.....!!
दद्दू ....!!मेरे प्यारे दद्दू....!!
पुत्तर....!!मेरे प्यारे पुत्तर........!!
आई लव यू दद्दू .....!!
सेम टू यू बुद्दू.....!!
2 comments:
भूतनाथजी हम पहले भी अर्ज़ कर चुके हैण कि आपकी कविता को हमारा दिल से समर्थन है मगर कभी हम्रे ब्लोग को भी अपने मन स्थान दे दिजिये ना आभार्
भूत बोलेगा तो अच्छा ही बोलेगा लेकिन लोग भूत (अतीत) की आवाज़ सुनते ही कहाँ हैं?
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