डॉ भारती कश्यप ने यह मार्मिक स्लाइड शो प्रेषित किया है, जो बताती है कि आज की भाग-दौड़ भरी ज़िंदगी में हम अपने दोस्तों और जाननेवालों से किस कदर दूर होते चले जा रहे हैं। क्या हम स्वविकास की अंधी दौड़ में शामिल हो गये हैं। सोचिये और हो सके तो इसके निहितार्थ को समझते हुए अपनों से दूर होने की जो कोशिश हो चुकी है, उस खाई को पाटने की दिशा में आगे बढ़िये।
5 comments:
But tomorrow comes and tomorrow goes,
And distance between us grows and grows
very true lines
Buetiful poem,
a few lines of a similar type poem i can recall;
Ever lost touch,
Let a good friendship die
Cause you never had time
To call and say "Hi"?
You'd better slow down.
Don't dance so fast.
Time is short.
The music won't last.
सुन्दर प्रस्तुति....
भारती जी को हिंदी में लिखने को प्रोत्साहित करें...
वाकई, सचमुच सम्प्रेषणीय। आभार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
वाकई, सचमुच सम्प्रेषणीय। आभार।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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