एक स्कालरशिप ही मिलेगी ???..कितना उचित ?
पढ़ाई में मेहनत करके अपनी श्रेष्ठता साबित करने पर छात्रो को स्कालरशिपमिलती है ..वैसे ही आवश्यकता से बहुत कम हैं स्कालरशिप ..
पर विवादास्पद विषय है यह प्रतिबंध कि कोई एक स्कालरशिप ही ली जा सकती है
..जब एक ही उपलब्धि के लिये खिलाड़ियो को अलग अलग संस्थाओ से जैसे किसी एक जीत पर केंद्र सरकार से अलग राज्य सरकार से अलग , तथा अन्य अनेक संस्थाओ से अलग ढ़ेर से आर्थिक लाभ मिलते हैं , कलाकारो को एक ही उपलब्धि पर इसी तरह अनेक आर्थिक लाभ दिये जाते हैं ...
किन्तु दुखद है कि शैक्षणिक योग्यता हेतु जो
नाम मात्र की स्कालरशिप मिलती है वह एक बार में केवल एक ही ली जा सकती है ..
उदाहरण के लिये
यदि आपको N T S E स्कालरशिप मिल रही है , और आप किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना जैसी कठिन परीक्षा पास कर स्कालरशिप की पात्रता हासिल लें , तो आपको N T S E स्कालरशिप बंद करनी होगी तभी किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना की फैलोशिप मिलती है .यह व्यवस्था तार्किक दृष्टि से योग्यता को हतोत्साहित करने वाली ही कही जायेगी , जिसमें बदलाव की जरूरत है . नेशनल टेलेंट सर्च स्कालशिप हेतु कक्षा ८ वी में देश व्यापी स्क्रीनिंग फिर लिखित परीक्षा लेकर साक्षात्कार के बाद मेधावी छात्रो का चयन किया जाता है , व बरसों से मात्र ५०० रु प्रतिमाह स्कालरशिप ही दी जा रही है , जबकि इन वर्षो में हमारे जन प्रतिनिधियो के भत्ते लगभग १० गुना बढ़ चुके हैं , मंहगाई का इंडैक्स आसमान छूने लगा है ...
किशोर वैज्ञानिक फैलोशिप हेतु कक्षा ११ से बच्चे आवेदन कर सकते हैं , यह फैलोशिप विज्ञान शिक्षा हेतु मिलती है , इसका चयन भी स्क्रीनिंग फिर लिखित परीक्षा व साक्षात्कार के बाद होता है . आवेदन स्तर अलग हैं , उद्देश्य अलग हैं , फिर केवल एक स्कालरशिप दिये जाने की बाध्यता क्यों?
यदि किसी बच्चे ने दोनो परीक्षायें अपनी योग्यता से उत्तीर्ण की हें तो उसे दोनो लाभ क्यो नही मिलने चाहिये ?
स्कालरशिप देने वाली संस्थायें अलग अलग हैं ... फिर यह पाबंदी क्यो कि केवल एक स्कालरशिप ही ली जावे ???
जब छात्र N T S E के मापदण्ड पूरे करता है तभी उसे वह स्कालरशिप मिलती है ,अपनी लगनशीलता से अगली पात्रता हासिल कर लेने पर पिछली स्कालरशिप बंद करना अनुचित है , क्योकि प्रत्येक का अपना महत्व है .
शिक्षा मंत्रालय व स्कालरशिप देने वाली संस्थाओ को इस पर विचार कर ऐसा निर्णय लेना चाहिये जिससे योग्यता को सतत समुचित प्रोत्साहन मिले ... न कि प्रतिभा को सुविकसित होने से पहले ही हम कुंठित कर दें .
vivek ranjan shrivastava
1 comment:
क्या आपको नहीं पता कि हमारसे यहं स्कालसिप भी अब सांप्रदाय के आधार पर मिलने लगे हैं
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