Saturday, September 25, 2010

ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा......!!

ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा......!!

मैं भूत बोल रहा हूँ..........!!

ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा......!!
अरे हम सब मिलकर बजाते हैं हम सब का ही बाजा !! 
अरे हमने धरती के गर्भ को चूस-चूस कर ऐसा है कंगाल किया 
पाताल लोक तक इसकी समूची कोख को कण-कण तक खंगाल दिया 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
हमने सारे आसमान का एक-एक बित्ता तक नाप लिया 
जहां तक हम पहुंचे अन्तरिक्ष को अपनी गन्दगी से पाट दिया 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
इस धरती का रुधिर हमारे तन में धन बन बन कर बहता है
हमारा बहाया हुआ केमिकल धरती की रग-रग में बहता है
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
इस धरती हम सेठ-किंग और जाने क्या-क्या कहाते हैं 
हर नदी-तालाब-नाहर-नाले में अपना कचरा बहाते हैं 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
जिस अबला पर मन आ जाए उसे हम अपने धन-धान्य से पाट देते हैं 
और जो ना माने हमारी उसका बलात चीरहरण हम कर देते हैं 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
छोटे-छोटे बच्चे भी हमारी वहशी नज़रों से बच तक नहीं पाते हैं 
जिन्होंने जन्म लिया है अभी ही,वो भी भेंट हमारी चढ़ जाते हैं 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
कर ले यहाँ पर हम कुछ भी मगर कभी पापी नहीं कहलाते हैं 
और सभी पापों में भर कर गंगा में ही नहा आते हैं 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
आत्मा हमारी ऐसी है जो सबके धन की ही प्यासी है 
जो भी दे दे धन इन्हें ये बस उन चरणों की दासी है 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
भूखे-नंगे-गरीब-अनाथ कोई भी हमें दिखाई ही नहीं देते है 
जिसकी भी जर-ज़रा-जमीं-जोरू हो,हम तिजोरी में भर लेते हैं 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
कितना भी खा जाए मगर हम डकार कभी नहीं लेते हैं 
"फ़ोर्ब्स"पत्रिका में खुद को पाकर हम खुश-खुश हो लेते हैं 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
देश हमारी ठोकर पर है हर मंत्री हमारा नौकर,सब कहते हैं 
हम इतने गिरे हुए हैं भाई,किसी की भी जूती चाट लेते हैं 
ये हमारी प्यारी धरती,और हम है यहाँ के राजा.....!!
अरे हम सब मिलकर बजाते हैं हम सब का ही बाजा !!

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