Sunday, March 20, 2011

नेत्रदान की अपील

विष्णु राजगढ़िया
23 फरवरी 2005 को आयोजित एक शिविर में नेत्रदान की घोषणा करने वाले मेरे पिताजी देवी प्रसाद राजगढ़िया ने ठीक छह वर्ष बाद 23 फरवरी 2011 को मृत्योपरांत अपनी आंखें दान की। मेरी मां ने भी नेत्रदान की घोषणा की थी, लेकिन ढाई साल पहले उनके निधन के समय यह संभव नहीं हो सका। मां-बाबूजी की प्रेरणा से मेरे तीन छोटे भाई रक्तदान और नेत्रदान के प्रति जागरूकता के लिए वर्षों से कार्यरत हैं। अब, रक्तदान और नेत्रदान, दोनों को बढ़ावा देने के लिए एक अनूठा कार्यक्रम प्रारंभ किया है जिसका नारा है- जीते-जीते रक्तदान, जाते-जाते नेत्रदान। इसके लिए बना पोस्टर देखें। 26 मार्च को श्री अग्रसेन स्कूल, भुरकुंडा में होगा कार्यक्रम।

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