Monday, September 12, 2011

तेरी रग-रग का हर निशाँ हम पहचानते हैं !!

तेरे आँगन में फाखते चहकें 
उनकी खुशबू से तेरा घर महके !
रोशनी से सराबोर रहे तू हमदम 
तेरे रूबरू हो जाए तीरगी बेदम !
जगमगाती रहें तेरी सारी रातें
याद आती रहें तुझे प्यारी बातें !
खुश रहे तू सदा ओ मेरे हमकदम !
दूर रहकर भी ये दुआ करते हैं हम !
रूह में तेरी है गहरी बातों का आलम 
आँख से तेरी दिखाई देता है हरदम !
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कैसे जीता है तू पल-पल,ये हम जानते हैं 
तेरी खुशियाँ और तेरे गम,हम पहचानते हैं !!
इक ज़माने से तू जिस तन्हाई में जीता है 
तेरी रग-रग का हर निशाँ हम पहचानते हैं !!
जब भी आ जाते हैं तेरी आँख में दो आंसू 
मुहं फिरा कर रोता है तू ये हम जानते हैं !!
याद आ जाता है जब कोई बीता हुआ पल 
तेरे चहरे का हर बदलता रंग हम जानते हैं !!
मेरी आँखों में आँख दाल कर तू हंस दे ज़रा 
होंठ प्यासे हैं तब्बसुम को तेरे,हम जानते हैं !! 

1 comment:

Patali-The-Village said...

बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति| धन्यवाद|