Sunday, January 8, 2012

ब्लागर्स मीट में रहा विचार का तेज, गजलों की ताजगी


रांची.जन सरोकारों से जुडी ख़बरों और विमर्श के लिए ब्लॉग बेहतर विकल्प ज़रूर है लेकिन उसके खतरे भी हैं.अभिवयक्ति के खतरे तो उठाने ही होंगे.राजधानी स्थित एटीआइ के व्याख्यान कक्ष में हुए ब्लोगेर्स मिलन में यह बातें निकल कर सामने आयीं.इसके अलावा गजलों और कविताओं की रिमझिम बारिश भी होती रही.कनाडा से आई ब्लागर व कवयित्री स्वप्न मञ्जूषा अदा के सम्मान में इसका आयोजन आह्वान नामक सांस्कृतिक संस्था ने किया था.रांची, बोकारो, धनबाद और खूंटी के ब्लागर्स  और वर्चुअल स्पेस में लिखने वाले रचनाकारों ने इसमें शिरकत की.

विषय परिवर्तन करते हुए ब्लागर व पत्रकार विष्णु राज गढ़िया ने कहा कि नेट पर निसंदेह ख़बरों और विचारों का एक बूम है . अच्छे लिखने वाले भी हैं तो कहीं स्तरहीन लेखन से भी सामना होता है.ज़रुरत उसे एक सही दिशा देने क़ी है.फ़िज़ूल की बहस में पड़े बिना वैकल्पिक मीडिया की तलाश जारी है.वहीँ ब्लागर व पत्रकार देवेन्द्र गौतम ने विष्णु का समर्थन करते हुए कहा क़ी वर्चुअल स्पेस कल की पत्रकारिता का वैकल्पिक माध्यम है.उन्होंने बिहार झारखण्ड में  ब्लागर्स के संगठन  पर बल दिया.ब्लागर व कवयित्री रश्मि शर्मा ने कहा क़ि सम्प्रेषण के लिए उन्होंने ब्लाग्स को चुना.बाद में लोग मिलते गए और कारवां बढ़ता गया.कवि-लेखक रणेंद्र का कहंता था क़ि ब्लाग्स महज़ स्वांत सुखाय लेखन नहीं है.वर्चल जगत  इन दिनों कई बदलावों का वाहक बना.हमें उसकी ताक़त का सही इस्तेमाल करना है.ब्लागर राजीव थेपडा ने अच्छे लेखन के साथ बेहतर इंसान बनने पर जोर दिया.रंगवार्ता के संपादक अश्विनी पंकज ने कहा क़ि वर्चुअल स्पेस का हमें वाजिब इस्तेमाल करना चाहिए.ब्लागेर्स को अपनी संस्कृति, प्रकृति और प्रवृति पर विचार करना चाहिए.सही जानकारी देने की कोशिश करनी चाहिए.सामाजिक परिवर्तन में ब्लाग्स अच्छी भूमिका निभा सकता है.ब्लागर व शायर क़सीम अख्तर ने शायराना लहजे में अपनी बात कही.वहीँ ब्लागर व ज्योतिषाचार्य संगीता पुरी ने ज्योतिष को विज्ञान बताया.उन्होंने कहा क़ि उनके ब्लॉग का मकसद इसी का प्रचार करना है.रात अभी बाकी है, चिराग सहर तक जलने दो, ब्लागर व कवयित्री रजनी नैय्यर मल्होत्रा की इस ग़ज़ल को खूब दाद मिली.सम्मलेन की ख़ास मेहमान स्वप्न मञ्जूषा अदा ने कहा क़ि उनकी यह पहली ब्लाग्स मीट है.लेकिन बहुत ही सफल है.उन्होंने अपने मधुर स्वर में अपना एक गीत भी सुनाया: दूर के ढोल सुहावन भैया, दिन-रात यही गीत गावत हैं/ फ़ौरन आकर हम तो भैया बहुत बहुत पछतावत हैं .कार्यक्रम का संचालन शहरोज़ कमर ने और धन्यवाद ज्ञापन नदीम अख्तर ने किया.इस अवसर पर अरुण कुमार झा, कामेश्वर प्रसाद श्रीवास्तव  निरंकुश, दिलीप तेतरवे, आरती, संजय कृष्ण और नवीन शर्मा आदि मौजूद थे.

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नदीम अख्तर
द पब्लिक एजेंडा
9835193065
9852909234

 

8 comments:

रश्मि शर्मा said...

बढ़ि‍या नदीम जी....

मनोज जायसवाल said...

ब्लागर मीट का यह प्रयास और प्रसंग काफी सराहनीय हैँ

मोनिका गुप्ता said...

इस शुभ आयोजन के लिए आप सभी को मेरी तरफ से बहुत बहुत बधाई। आगे भी इस तरह का आयोजन होता रहा है विचारों के आदान प्रदान सिलसिला जारी रहे। यही कामना है।

रेखा श्रीवास्तव said...

ऐसे आयोजन कुछ विचारने को और कुछ सुधारने की राह दिखा जाते हें. ऐसी मीट होने ब्लोगर्स के लिए परिचय की सीमा और एक मंच पर एकत्र होने का अच्छा प्रयास है.

ब्लॉ.ललित शर्मा said...

आते तो हम भी, पर एक और मीट में फ़ंसे हुए थे। मिलेगें फ़िर कभी।

vandana gupta said...

बहुत बढिया रपट्।

Rahul Singh said...

लगभग दो महीने पहले, अदा जी के इस दौरान रांची प्रवास की जानकारी उनसे मिली थी, मैंने अपना कार्यक्रम बनाया था, लेकिन पहुंचना संभव न हो सका.

avanti singh said...

ब्लागर मीट के बारे में सुन कर ख़ुशी हुई,ऐसे प्रयास होते रहने चाहिए....