Saturday, May 26, 2012

क्या आप इन्हें पहचानते हैं?



एक नजर में शायद आप भी इन्हें न पहचान पायें, लेकिन नाम और इनके काम का जिक्र आते ही आप इन्हें जरूर पहचान जायेंगे। ये हैं असुंता लकड़ा। ओलंपिक खेलों के लिए क्वालिफाइंग इंडियन टीम की कप्तान और झारखंड के सिमडेगा से आने वाली हॉकी सनसनी। पिछले दिनों दोपहर में रांची के हटिया स्थित डीआरएम ऑफिस के बाहर यूं ही पैदल चलते हुए मिल गयीं। शुरुआत में मैं भी उन्हें एक आम आदमी समझ आगे बढ़ चला था, लेकिन फिर गौर किया, तब समझा कि ये तो हमारी अपनी असुंता हैं। झिझकते हुए उनसे सवाल किया- आप असुंता हैं न ? सरल तरीके से उन्होंने जवाब दिया - हां। फिर सवाल कौंधा और पूछ डाला, आप इतनी बड़ी हॉकी खिलाड़ी और आप ऐसे ही घूम रही हैं? कोई ताम-झाम नहीं, आसपास कोई फैन भी नहीं? असुंता कहती हैं - मैं कोई क्रिकेट खिलाड़ी थोड़े ही हूं!! उनके इसी जवाब में छिपा दर्द भी सामने आ गया। फिर उन्होंने बताया कि कैसे आज भी उन्हें डिबडीह में एक किराये के मकान में रहना पड़ रहा है। आज तक सरकार की ओर से उन्हें न तो भूखंड मिला और न ही कोई क्वार्टर ही उपलब्ध कराया गया। असुंता इस देश में क्रिकेट के बाजारवाद के कारण तेजी से मरते जा रहे अन्य खेलों के भुक्तभोगी खिलाड़ियों की एक बानगी हैं। खैर, डीआरएम ऑफिस में उनका आना इसलिए होता है, क्योंकि वे रेलवे में कार्यरत हैं। वैसे उन्हें भोपाल में हॉकी कैंप में जाने के लिए टिकट कटाना था, इसलिए खुद इस दफ्तर में आना पड़ा। पहले तो रिजर्वेशन मिलना ही मुश्किल होता था, लेकिन जब से रेलवे ने उन्हें पहचान लिया है, तब से कम परेशानियां झेलनी पड़ती हैं। असुंता बताती हैं कि 2014 में दक्षिण कोरिया में होनेवाले एशियाई खेल और ग्लासगो, स्कॉटलैंड में होनेवाले कॉमनवेल्थ खेलों को लेकर टीम की तैयारी चल रही है। झारखंड की सरकार से उन्हें क्या अपेक्षा है? इस सवाल पर असुंता मुस्कराती हैं, फिर जवाब देती हैं- मैं आज भी किराये के मकान में रह रही हूं, और क्या कहूं। आप लोग खुद समझ सकते हैं।


2 comments:

Yashwant R. B. Mathur said...

कल 03/07/2012 को आपकी यह पोस्ट (विभा रानी श्रीवास्तव जी की प्रस्तुति में) http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर लिंक की जा रही हैं.आपके सुझावों का स्वागत है .
धन्यवाद!

ज्योतिषाचार्य ललित मोहन कगड़ियाल,, said...

असुंता जी ,वास्तव में मैं भी आपको पहचान नहीं पाया,जिसके लिए शर्मिंदा हूँ.आप आज जहाँ भी हैं वो आपकी मेहनत और निष्ठा का परिणाम है.कितना प्रयास ,कितना कष्ट आपने ये मुकाम पाने को सहा होगा उसका अंदाजा लगाया जा सकता है.और आज जो आप हैं वो भारत में और कोई नहीं है,यानि आप बहुत ज्यादा महत्वपूर्ण हैं.मैं गर्व करता हूँ आप पर.