शेयर
बाजार में डालकर ऐसे मार देंगे
कि पानी तक नहीं मांगोगे!नेशनल
स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) के निफ्टी
में शुक्रवार को तेज गिरावट
(फ्लैश क्रैश) के कारण कारोबार
को कुछ देर के लिए रोकना पड़ा।
कारोबार की शुरुआत में निफ्टी
27.40 की तेजी के साथ 5,815.00 पर खुला,
लेकिन कारोबार में यह 900 अंक
लुढ़क गया। निफ्टी ने इस गिरावट
के लिए ब्रोकर फर्म एमके ग्लोबल
को जिम्मेदार ठहराया है, जिसने
अपने एक ग्राहक के लिए 650 करोड़
रुपये मूल्य के ऑर्डर किए।
निफ्टी ने कहा है कि वह पूरे
मामले की जांच कर रहा है।कुछ
ही मिनटों में लग गया लोअर सर्किट
एनएसई में हुए अजीबोगरीब घटनाक्रम
के तहत शुक्रवार को कारोबार
के कुछ ही देर में एक झटके में
ही निफ्टी में लोअर सर्किट
लग जाने से ट्रेडिंग सुबह 9.50
बजे अपने आप रुक गई। इस समय निफ्टी
बढ़त के साथ 5,815 अंक पर कारोबार
कर रहा था। अचानक हुए इस फ्लैश
क्रैश के चलते निफ्टी 16 प्रतिशत
या 900 अंक टूटकर 4888.20 अंक पर पहुंच
गया। करीब 15 मिनट बाद 10.05 बजे
से एनएसई में ट्रेडिंग फिर
शुरू हुई। निफ्टी ने इस संबंध
में जारी एक बयान में बताया
है कि एक के बाद एक 59 गलत ऑर्डरों
के कारण मार्केट फिल्टर लागू
हुआ। इन गलत ऑर्डरों के कारण
650 करोड़ रुपये मूल्य से अधिक
के गुणज सौदे हुए। यह आर्डर
एक व्यापारिक सदस्य एमके ग्लोबल
फाइनेंस सर्विसेज ने एक संस्थागत
ग्राहक की ओर से प्लेस किए थे।
इन दोषपूर्ण ऑर्डरों की पहचान
एक विशेष डीलर टर्मिनल से की
गई है। निफ्टी इस असामान्य
ऑर्डर सहित पूरे मामले की जांच
कर रहा है, जिस कारण नीची कीमतों
पर भारी सौदे हुए। निफ्टी के
मुताबिक एक्सचेंज के सिस्टम
में कोई तकनीकी गड़बड़ी नहीं
हुई थी। फ्रीक ट्रेडिंग के
चलते निफ्टी में आईसीआईसीआई
बैंक का शेयर 1,083.40 रुपये से 866.75
रुपये के भाव पर आ गया। इसी तरह
एचडीएफसी बैंक के शेयर के भाव
631.30 रुपये से 505 रुपये पर, टीसीएस
1,317.15 रुपये से 1,055 रुपये और रिलायंस
इंडस्ट्रीज के भाव 852.90 रुपये
से 682.35 रुपये पर दर्ज किए गए।
इन शेयरों के दामों में गिरावट
निफ्टी में इनके अधिक भारांश
के चलते देखने को मिली। खबर
तो ऐसी बनायी गयी किआर्थिक
सुधारों की उम्मीद से डेढ़
साल की ऊंचाई पर पहुंचने के
बाद बाजार पर मुनाफावसूली हावी
हुई!एनएसई पर गड़बड़ी से ब्रोकरों
और ट्रेडर्स को भारी नुकसान
हुआ है। जानकारों का कहना है
कि एनएसई को सुबह 9:30-10 बजे के
दौरान हुए सौदों को रद्द कर
देना चाहिए। एक्चेंजों को अपने
सिस्टम दुरुस्त करने चाहिए
ताकी छोटे निवेशक मुश्किल में
न फंसे।
एनएसई
के बिजनेस डेवेलपमेंट हेड,
रवि वाराणसी का कहना है कि एक
मेंबर के टर्मिनल से गलत ऑर्डर
पड़ने की वजह से भारी गिरावट
आई थी। कैश सेगमेंट में गलत
ऑर्डर पड़ने की वजह से दूसरे
सेगमेंट बंद नहीं किए गए थे।
रवि वाराणसी
के मुताबिक गलत ऑर्डर की जांच
जारी है, लेकिन कोई भी सौदे रद्द
नहीं किए जाएंगे। ट्रेड को
कैंसिल करना सही कदम नहीं होगा।
आज के सौदे एल्गो ट्रेड नहीं
थे।
रवि वाराणसी
का कहना है कि जांच की रिपोर्ट
सेबी को सौंपी जाएगी। सेबी
की सहमति के बाद ही जरूरी कार्रवाई
की जाएगी।
वित्त
मंत्री पी चिदंबरम ने कहा है
कि देश आर्थिक सुधार के मार्ग
पर तेजी से आगे बढ़ रहा है और
बीमा एवं दूसरे क्षेत्रों में
अधिक सुधार होगा। चिदंबरम ने
बीबीसी को दिए साक्षात्कार
में कहा है कि मल्टी ब्रांड
रिटेल कारोबार को प्रत्यक्ष
विदेशी निवेश के लिए खोलने
और डीजल सब्सिडी में कटौती
किए जाने के बाद और अधिक सुधार
होंगे।देश के आर्थिक ढांचे
को मजबूत बताते हुए उन्होंने
कहा कि कुछ गतिरोध दूर किए जाने
के बाद भारत फिर से नौ प्रतिशत
विकास दर के मार्ग पर तेजी से
लौटेगा। उन्होंने कहा कि भारत
को भ्रष्टाचार वाला देश बताना
गलत है, इससे निपटने के लिए बहुत
कुछ किया गया है। चिदंबरम ने
स्वीकार किया कि बजट घाटे को
लेकर भारत कुछ चुनौतियों का
सामना कर रहा है, लेकिन भारत
दूसरे कई देशों की तुलना में
बेहतर प्रदर्शन कर रहा है।
अर्थव्यवस्था में आ रही सुस्ती
को दूर करने के उद्देश्य से
सरकार ने पिछले महीने कुछ आर्थिक
सुधारों की घोषणा की थी। हालांकि
विपक्ष ने इसका कड़ा विरोध
किया है और सरकार में शामिल
रही तृणमूल कांग्रेस उससे अलग
हो गई है। चिदंबरम देश में निवेश
का माहौल सुधारने के मकसद से
विदेशी निवेशकों के साथ बैठक
करने वाले हैं। शानिवार को
दोपहर बाद मुंबई में पी चिदंबरम
शीर्ष के 20 एफआईआई के साथ मुलाकात
करने वाले हैं।इस मुलाकात के
जरिए पी चिदंबरम विदेशी निवेशकों
को भरोसा दिलाने की कोशिश करेंगे।
गौर करने वाली बात ये है कि शनिवार
को सेबी की अहम बोर्ड बैठक भी
है। माना जा रहा है कि सेबी की
बैठक में एफआईआई के लिए अहम
ऐलान किए जा सकते हैं।वित्त
मंत्री सेबी बोर्ड की बैठक
को संबोधित करेंगे। अपने संबोधन
में वित्त मंत्री निवेशकों
और खासकर के लिए बेहतर माहौल
की वकालत कर सकते हैं। इसके
अलावा पी चिदंबरम आरबीआई के
अधिकारियों से भी मुलाकात करेंगे।
आरबीआई के साथ बैठक में ब्याज
दरों में कटौती की जरूरत पर
जोर दिया जा सकता है। साथ ही
वित्त मंत्री टैक्स के मामले
में सरकार का रुख साफ कर सकते
हैं। माना जा रहा है कि वित्त
मंत्री स्टॉक एक्सचेंज के प्रतिनिधियों
से भी मुलाकात कर सकते हैं।सरकार
एक के बाद एक आर्थिक सुधार के
फैसले लेती जा रही है। इसके
सहारे बाजार भी नई उंचाई के
पायदान को छू रहे हैं। पिछले
कुछ दिनों से सरकार के उठाए
कदमों के बल पर बाजार भी तेज
रफ्तार पकड़ चुके हैं। जानकारों
का मानना है कि अगर ये सुधार
इसी तरह जारी रहे तो बाजार को
और ज्यादा उछाल लेने से कोई
नहीं रोक सकता।
बीमा और पेंशन क्षेत्रों में
सुधार की सरकारी घोषणाओं के
के बाद भाजपा ने कहा कि वह इन
क्षेत्रों में और एफडीआई का
विरोध तो नहीं करती है, लेकिन लोगों के हितों की रक्षा
के लिए खास शर्तें लगाई जानी
चाहिए। हालांकि भाजपा ने संसद
पर इन कदमों का समर्थन किए जाने
के संबंध में पूछे जाने पर कहा
कि वह पहले सुधारों का मूल रूप
देखना चाहेगी।माकपा ने कहा कि बीमा क्षेत्र में
एफडीआई और पेंशन कोष में विदेशी
निवेश की अनुमति दिए जाने से
भारत के वित्तीय क्षेत्र में
सट्टेबाजी का प्रभाव बढ़ जाएगा।
इसके साथ ही पार्टी ने राजनीतिक
दलों का आह्वान किया कि वे संसद
में इस प्रस्ताव का विरोध करें।पार्टी
के पोलित ब्यूरो ने दिल्ली
में जारी एक बयान में कहा, केंद्रीय
मंत्रिमंडल द्वारा घोषित इन
कदमों से भारत के वित्तीय क्षेत्र
में सट्टेबाजी पूंजी का प्रभाव
बढ़ जाएगा। पार्टी ने कहा कि
पेंशन कोष में एफडीआई की अनुमति
देने से देश के लाखों कर्मचारियों
की बचत राशि खतरे में पड़ जाएगी।यूपीए
सरकार से नाता तोड़ चुकी ममता
बनर्जी सरकार पर निशाना साधने
का कोई मौका नहीं छोड़ रही हैं।
उन्होंने सरकार को 'झूठी' और
'लुटेरी' करार देते हुए कहा कि
आर्थिक विकास की आड़ में वह
गरीबों का शोषण कर रही है।दीदी
ने अपने फेसबुक पेज पर कहा, 'क्या
आम आदमी को सुधारों से यही उम्मीद
है? आर्थिक सुधार के नाम पर लूट
चल रही है और इसे दबाने के लिए
झूठ का सहारा लिया जा रहा है।'
भाकपा के वरिष्ठ नेता एबी बर्धन
ने कहा कि वामपंथी नया मोर्चा
बनाना चाहते हैं लेकिन उन्होंने
तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता
बनर्जी को उसमें जगह देने से
इंकार किया। बनर्जी को उन्होंने
''छद्म वामपंथी'' बताया।कुडनकुलम
परमाणु उर्जा परियोजना का विरोध
कर रहे कार्यकर्ताओं ने अब
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री
ममता बनर्जी से यह कहकर समर्थन
मांगा है कि उन्होंने अपने
राज्य में हरिपुर परमाणु परियोजना
के विरोध में साहसिक कदम उठाया।ममता
बनर्जी ने संप्रग के घटक दलों से समर्थन
वापस लेने की अपील की है। अपने
फेसबुक अकाउंट पर लिखा है कि
केंद्र सरकार अल्पमत में है
और उसे जन विरोधी फैसले लेने
का कोई हक नहीं है।
तो जनाब इसी शेयर बाजार में
आप खपने जा रहे हैं जिसकी कोई
साख ही नहीं है। जहां सुरक्षा
नाम की चीज नहीं है। जीवन बीमा
में तो प्रीमियम तक मिलना मुश्किल
हो गया। बीमा में विदेशी पूंजी
को हरी झंडी के बाद मारे पोन
आ रहे हैं निजी बीमा कंपनियों
के। एक बार गरदन फंसा दी तो नप
जाओगे प्यारे। जीएसटी और डीटीसी
अभी लागू होना बाकी है। आपकी
जमा पूंजी, भविष्यनिधि और पेंशन
तक अब उस शेयर बाजार में डाल
दी जा रही है, मुनाफा वसूली जिसकी
एकमात्र नैतिकता है। मीडिया
सत्ता के समीकरण में रंग बिरेंगे
कयास लगाने में कागद कारे कर
रहा है , बाइट पर बाइट मार रहा
है। पर शेयर बाजार के इस कत्लगाह
से परदा नहीं उठा रहा। सबकी
खबर लेने वाले सबसे तेज लोग
मामला धूमाने में लगे हैं।
जबकि सच यह है कि नरसंहार संस्कृति
के अश्वमेध यज्ञके दो दशक पूरे
हो गये, सत्ता का समीकरण चाहे
कैसा ही हो, परिवर्तन चाहे कितना
दिलफरेब हो, बाजार से पंगा लेने
की किसी ने जुर्रत नहीं की।
अमेरिकापरस्त विदेशनीति और
आर्थिक नीतियां, इजराइल की
घुसपैठ में कोई व्यवधान नहीं
आया। संसद में तो अनास्था प्रस्ताव
के बावजूद परमाणु संदि लागू
हो गयी। संसद के बहिष्कार के
बावजूद आर्थिक सुधार जारी हैं।
लोकशाही के बावजूद १९५८ से
जारी हैसशस्त्र सैन्य बल विशेषाधिकार
कानून और तरह तरह के कानून।
विकास के नाम पर विस्तापन का
सिलसिला तेज होता रहा । परिभाषाएं
बदलती रहीं, पर न गरीबी कम हुई
और न बेरोजगारी। जल जंगल जमीन
नागरिकता और मानव अधिकार छिनने
के बावजूद कार्निवाल में यह
उछलकूद क्यों मचाये हो?यूपीए
सरकार ने बड़े आर्थिक सुधार
जारी रखते हुए पेंशन क्षेत्र
में 26 फीसदी प्रत्यक्ष विदेशी
निवेश (एफडीआई) की इजाजत दे दी।
इसके साथ ही बीमा क्षेत्र में
एफडीआई की सीमा को मौजूदा 26
फीसदी से बढ़ाकर 49 फीसदी करने
के प्रस्ताव को भी मंजूरी दे
दी। बृहस्पतिवार को हुई कैबिनेट
की बैठक में इन फैसलों के अलावा
केंद्र सरकार ने आर्थिक सुधारों
के मोर्चे कड़े फैसले लेने
का सिलसिला जारी रखते हुए पेंशन
क्षेत्र को भी प्रत्यक्ष विदेशी
निवेश (एफडीआई) के लिए खोल दिया
है जबकि बीमा क्षेत्र में एफडीआई
की सीमा बढ़ाकर 49 फीसदी करने
की अनुमति दे दी है। बैठक में
कंपनी अधिनियम, प्रतिस्पर्धा
आयोग अधिनियम और फारवर्ड कांट्रैक्ट
रेगुलेशन एक्ट में संशोधन की
भी मंजूरी दे दी गई। इन संशोधन
विधेयकों को संसद के आगामी
शीतकालीन सत्र में मंजूरी के
लिए पेश किया जाएगा। कैबिनेट
के इन फैसलों की जानकारी देते
हुए वित्त मंत्री पी. चिदंबरम
ने कहा कि निवेश में बढ़ोतरी
और संबंधित क्षेत्रों के तेज
विकास केलिए यह संशोधन जरूरी
थे। लेकिन विपक्ष केविरोध को
देखते हुए सरकार के लिए इन सभी
विधेयकों को संसद में पारित
कराना बहुत आसान काम नहीं होगा।
लेकिन इन फैसलों से देश में
आर्थिक सुधारों के बड़े दौर
की वापसी हो गई है और यही वजह
है कि इन फैसलों की संभावना
के चलते ही मुंबई शेयर बाजार
का संवेदी सूचकांक 19,000 के स्तर
को पार कर गया।पेंशन फंड रेगुलेटरी
एंड डेवपलमेंट अथारिटी बिल,
2010 में संशोधन के लिए इस बारे
में वित्त मंत्री की संसदीय
स्थायी समिति की सिफारिशों
पर अमल करने की बात कही गई है।
इसके तहत संबंधित संशोधनों
केबाद विदेशी पेंशन फंडों को
पेंशन फंड कंपनियों में 26 फीसदी
एफडीआई की अनुमति मिल जाएगी।
साथ ही पेंशनधारकों को भी एक
समय के बाद कुछ राशि निकालने
और अधिक आय वाली स्कीमों में
निवेश का निर्देश देने की अनुमति
मिल जाएगी। पेंशन एडवाइजरी
कमेटी में संबंधित पक्षों को
शामिल करने का प्रावधान भी
किया गया है। साथ ही पीएफआरडीए
के सदस्यों केलिए भी शर्तें
तय की गई हैं। केंद्रीय कर्मियों
के लिए 2004 से और अधिकांश राज्यों
द्वारा अपने कर्मचारियों के
लिए नई पेंशन व्यवस्था लागू
करने के साथ ही गैर सरकारी क्षेत्र
के लोगों को भी मई 2009 से एनपीएस
में खाते की अनुमति सरकार ने
दे रखी है। इस समय इसके तहत 20,535
करोड़ रुपये के फंड हैं।इसके
साथ ही बीमा क्षेत्र में एफडीआई
की सीमा बढ़कर 49 फीसदी कर दी
गई है। सरकारी क्षेेत्र की
गैर जीवन बीमा कंपनियों को
भी बाजार से पूंजी जुटाने की
अनुमति देने के साथ इनमें सरकार
की 51 फीसदी हिस्सेदारी की सीमा
तय की है। वहीं स्वास्थ्य बीमा
का काम करने वाली कंपनियों
केलिए पूंजी की न्यूनतम सीमा
को 100 करोड़ रुपये से घटाकर 50
करोड़ रुपये कर दिया गया है
ताकि अधिक कंपनियां इस क्षेत्र
में आ सके। विशेषज्ञों का कहना
है कि इन कदमों से बीमा क्षेत्र
का विस्तार तेज होगा। उपभोक्ताओं
हितों केलिए पालिसी केसंबध
कई तरह के बदलाव किये गये हैं।
इसी बीच नयी सनसनी।जान खतरे
में है और मौत बिना आहट सिरहाने
है,इससे बेखबर रहने का नया बहाना
मिल गया। सोचते रहो कि 50 लाख से 300 करोड़ कैसे हो गई रॉबर्ट
वाड्रा की संपत्ति?अरविंद केजरीवाल
ने सोनिया गांधी के दामाद और
प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट
वाड्रा के खिलाफ बढ़ा खुलासा
किया है और सरकार से उनके खिलाफ
जांच की मांग की है। आरोप हैं
कि रॉबर्ट ने डीएलएफ की मदद
से सैकड़ों करोड़ रुपये की प्रॉपर्टी
हासिल की। केजरीवाल ने पूछा
कि क्या रॉबर्ट केंद्र, दिल्ली
और हरियाणा सरकार के जरिए डीएलएफ
की मदद कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस
की ओर से कहा गया है कि झूठे
आरोप लगाना केजरीवाल की आदत
है।इसी के मध्य हजारों किसान ग्वालियर से
राजधानी दिल्ली की ओर कूच कर
गए हैं। यह काफिला 12 किलोमीटर
लंबा है। किसानों की इस जन सत्याग्रह
यात्रा का मकसद सरकार का अपनी
समस्याओं की ओर ध्यान दिलाना
है। इन किसानों ने केंद्र सरकार
से जमीन को लेकर कई सुधारों
की मांग की है। किसानों के इस
जोरदार विरोध को देखकर केंद्र
सरकार के हाथ पांव फूलने लगे
हैं।मार्च में देश भर के किसान
हिस्सा ले रहे हैं। किसानों
का कहना है कि वे अपने बच्चों
के लिए यह लड़ाई लड़ रहे हैं।
एकता परिषद के बैनर तले विरोध
कर रहे किसानों का ये मार्च
मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश,
राजस्थान और हरियाणा से गुजरते
हुए 29 अक्टूबर को दिल्ली पहुंचेगा।
ये किसान हर रोज 15 से 20 किलोमीटर
तक का सफर तय करेंगे। ये किसान
सड़क पर ही खाना बनाते हैं और
सड़क पर ही उनकी रात गुजरती
है।रीटेल सेक्टर में एफडीआई
और डीजल की कीमत में बढ़ोतरी
के खिलाफ किसानों ने शुक्रवार
को पंजाब के कई हिस्सों में
3 घंटे के लिए रेल और सड़क यातायात
जाम रखा। सड़क मार्ग और रेलगाडि़यों
से यात्रा करने वाले लोगों
को किसानों द्वारा किए गए जाम
के कारण दोपहर में काफी दिक्कतें
हुईं। किसानों की समन्वय समिति
और मजदूरों की ओर से किए गए प्रदर्शन
शांतिपूर्ण रहा। कर्ज में डूबी
किंगफिशर एयरलाइन का संकट बढ़ता
जा रहा है। आर्थिक संकट से जूझ
रही किंगफिशर को फिलहाल कोई
राहत मिलती नजर नहीं आ रही है।
केंद्र ने भी उसको आर्थिक सहायता
देने से इन्कार करते हुए कहा
कि जब तक कंपनी डीजीसीए को संतुष्ट
नहीं करती, उसको उड़ान की अनुमति
नहीं मिल सकती। पिछले सात महीनों
से वेतन न मिलने की वजह से कर्मचारियों
और कंपनी प्रबंधन के बीच जारी
गतिरोध गुरुवार को भी दूर नहीं
हो पाया जिसकी वजह से कंपनी
को अपनी आंशिक तालाबंदी 12 अक्टूबर
तक बढ़ानी पड़ी है। गुरुवार
देर रात किंगफिशर ने बयान जारी
कर अफसोस जताया कि कर्मचारियों
के एक वर्ग की 'अवैध हड़ताल'
अब तक खत्म नहीं हुई और हालात
सामान्य नहीं हो पाए हैं।हालांकि
किंगफिशर एयरलाइंस के लिए थोड़ी
राहत की बात ये है कि बैंक एयरलाइन
को 60 करोड़ रुपये देने के लिए
तैयार हो गए हैं। 60 करोड़ रुपये
से किंगफिशर एयरलाइंस अपने
कर्मचारियों की 2 महीने की सैलरी
का भुगतान कर सकेगी। फिलहाल
किंगफिशर एयरलाइंस ने 13 अक्टूबर
तक लॉक आउट का ऐलान किया है।किंगफिशर
एयरलाइंस ने मार्च महीने से
कर्मचारियों को सैलरी नहीं
दी है और इस वजह से कंपनी के
इंजीनियर, पायलट समेत दूसरे
कर्मचारी हड़ताल पर है और इसी
वजह से कंपनी ने 1 अक्टूबर से
अपना सारा कारोबार बंद करने
का ऐलान किया हुआ है।
खास बात तो यह है कि यह पहला मौका नहीं है, जब निफ्टी
में 'असामान्य कारोबार' (फ्रीक
ट्रेड) की वजह से भारी गिरावट
देखने को मिली हो। इससे पहले
20 अप्रैल 2012 को भी इसी वजह से
निफ्टी फ्यूचर 7 फीसदी और इनफोसिस
फ्यूचर 1,950 रुपये तक गिर गया
था। 20 अप्रैल 2012 को भारी गिरावट
के पीछे वजह रही थी निफ्टी में
सीएलएसए का एल्गो ट्रेड। सीएलएसए
ने बड़े पैमाने पर निफ्टी फ्यूचर्स
में बिकवाली थी। सीएलएसए के
मुताबिक 20 मिनट की जगह 20 सेकेंड
में ही सौदे निपटे थे। एनएसई
की तरह ही बीएसई पर भी फ्रीक
ट्रेड की मार पड़ चुकी है। 2010
में कम कीमत पर काफी बड़ी तादाद
में शेयरों की बिक्री के असामान्य
ऑर्डर के चलते रिलायंस के शेयर
करीब 20 फीसदी लुढ़क गए थे। इसके
चलते सेंसेक्स में भी 600 से ज्यादा
अंक की गिरावट आई थी क्योंकि
रिलायंस के शेयर का सेंसेक्स
में सबसे अधिक भारांश (वेटेज)
था।
शेयर का सीधा सा अर्थ होता
है हिस्सा। शेयर बाजार की भाषा
में बात करें तो शेयर का अर्थ
है कंपनियों में हिस्सा। उदाहरण
के लिए एक कंपनी ने कुल 10 लाख
शेयर जारी किए हैं। आप कंपनी
के प्रस्ताव के अनुसार जितने
अंश खरीद लेते हैं आपका उस कंपनी
में उतने का मालिकाना हक हो
गया जिसे आप किसी अन्य खरीददार
को जब भी चाहें बेच सकते हैं।
आप 100 से लेकर अधिकतम शेयर खरीद
सकते हैं।
कंपनी जब शेयर जारी करती है
उस वक्त किसी व्यक्ति या समूह
को कितने शेयर देना हैं यह उसका
विवेकाधीन अधिकार है। बाजार
से शेयर बाजार खरीदने/बेचने
के लिए कई शेयर ब्रोकर्स होते
हैं जो उनके तय पारिश्रमिक
(लगभग 2 फीसदी) लेकर अपने ग्राहकों
को यह सेवा देते हैं।
इन कंपनियों के शेयरों का मूल्य
मुंबई शेयर बाजार (बीएसई) में
दर्ज होता है। सभी कंपनियों
का मूल्य उनकी लाभदायक क्षमता
के अनुसार कम-ज्यादा होता है।
इस पूरे बाजार में नियंत्रण
भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय
बोर्ड (सेबी) का होता है। इसकी
अनुमति के बाद ही कोई कंपनी
अपना प्रारंभिक निर्गम इश्यू
(आईपीओ) जारी कर सकती है।
प्रत्येक छमाही या वार्षिक
आधार पर कंपनियां लाभ होने
पर अंशधारकों को लाभांश भी
देती हैं। और कंपनी की गतिविधियों
की जानकारी से भी रूबरू कराती
है।
शेयर बाजार में लिस्टेड होने
के लिए कंपनी को बाजार से लिखित
समझौता करना पडता है, जिसके
तहत कंपनी अपनी हर हरकत की जानकारी
बाजार को समय-समय पर देती रहती
है, खासकर ऐसी जानकारियां, जिससे
निवेशकों के हित प्रभावित होते
हों। इन्हीं जानकारियों के
आधार पर कंपनी का मूल्यांकन
होता है और इस मूल्यांकन के
आधार पर मांग घटने-बढ़ने से
उसके शेयरों की कीमतों में
उतार-चढाव आता है। अगर कोई कंपनी
लिस्टिंग समझौते के नियमों
का पालन नहीं करती, तो उसे डीलिस्ट
करने की कार्रवाई सेबी करता
है।
पूंजी बाजार नियामक सेबी ने
एनएसई के सूचकांक निफ्टी के
फ्लैश क्रैश की प्रारंभिक जांच
शुरू कर दी है। शुक्रवार सुबह
निफ्टी में करीब 900 अंकों की
भारी गिरावट से लोवर सर्किट
लग गया था। इससे कारोबार करीब
15 मिनट तक ठप रहा। सेबी के वरिष्ठ
अधिकारी ने बताया कि नियामक
इस बात की पड़ताल करेगा कि 'फ्लैश
क्रैश' जैसी घटनाओं से बचने
के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम
थे या नहीं। जैसाकि, बताया जा
रहा है कि ब्लूचिप शेयरों में
फर्जी कारोबार हुआ, जिसके चलते
यह घटना हुई। इनमें कुछ बड़े
बैंकिंग शेयर भी शामिल रहे।
वैसे, बड़े ब्लूचिप शेयरों
में सर्किट फिल्टर नहीं होता
है, लेकिन आमतौर पर मार्केट
सिस्टम किसी भी गलत या फर्जी
ट्रेडिंग से निपटने के लिए
पूरी तरह तैयार होता है। नियामक
ने बढ़ रही 'फ्रिक ट्रेड' की
घटनाओं पर भी चिंता जताई है।
दूसरी ओर, बीएसई ने कहा है कि
उसका कामकाज सामान्य चला। हालांकि
निफ्टी में 900 अंक की भारी गिरावट
के बीच बीएसई का सेंसेक्स भी
लगभग 200 अंक टूट गया क्योंकि
ऐसे कई शेयरों में गिरावट दर्ज
की गई, जोकि दोनों एक्सचेंजों
के सूचकांकों में शामिल हैं।
हालांकि दोपहर तक बाजार में
सुधार दर्ज किया गया। 12.20 बजे
सेंसेक्स 177 अंक टूटकर 18,880.98 था।
निफ्टी 58.35 अंक टूटकर 5,729.25 अंक
था। एनएसई में हुई इस गड़बड़ी
पर जानकारों का कहना है कि निफ्टी
को सुबह 9.30 से 10 बजे के दौरान
हुए सौदों को रद्द कर देना चाहिए।
साथ ही एक्सचेंजों को अपने
सिस्टम दुरुस्त करने चाहिए,
ताकि छोटे निवेशक मुश्किल में
न फंसें।
केंद्र सरकार ने विदेशी
कंपनियों को घरेलू बीमा कंपनियों
में 49 फीसद तक निवेश की इजाजत
दे दी है। मगर प्रस्तावित विधेयक
में इस बात का पूरा ख्याल रखा
गया है कि पॉलिसीधारकों की
राशि पूरी तरह से सुरक्षित
रहे। यही वजह है कि प्रस्तावित
बीमा कानून [संशोधन] विधेयक, 2008 में यह प्रावधान
किया जा रहा है कि विदेशी बीमा
कंपनियां पॉलिसीधारकों का
धन देश से बाहर न ले जा सके।
सूत्रों के मुताबिक प्रस्तावित
विधेयक में इसके लिए एक कड़ा
प्रावधान किया गया है। धारा
27ई के मुताबिक पॉलिसीधारकों
से प्राप्त राशि को कोई भी बीमा
कंपनी प्रत्यक्ष या परोक्ष
तौर पर देश से बाहर निवेश नहीं
कर सकती है। पॉलिसीधारकों के
हितों की रक्षा के लिए यह तय
किया जा रहा है कि अगर तीन वर्षो
तक किसी पॉलिसी के लिए प्रीमियम
दिया गया है तो उसे किसी भी कीमत
पर बीमा कंपनियां रद्द न कर
सकें।
बीमा क्षेत्र के जानकारों
का कहना है कि कम से कम एक दर्जन
बीमा कंपनियों में विदेशी कंपनियां
निवेश का स्तर बढ़ाने के लिए
तैयार बैठी हैं। उन्हें सिर्फ
सरकार से मंजूरी मिलने का इंतजार
है। माना जा रहा है कि इन कंपनियों
में विदेशी निवेश की सीमा 26
फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद करने
से देश में तत्काल 20 हजार करोड़
रुपये का विदेशी निवेश आ सकेगा।
रिलायंस लाइफ इंश्योरेंस, भारती
एक्सा, बजाज अलायंज, आइएनजी
वैश्य, बिड़ला सनलाइफ, अविवा,
कोटक महिंद्रा ओल्ड म्यूचुअल,
मैक्स लाइफ, मेट लाइफ, सहारा
लाइफ जैसी कंपनियां विदेशी
हिस्सेदारों को इक्विटी बढ़ाने
की इजाजत देने में देरी नहीं
करेंगी। विदेशी निवेश सीमा
नहीं बढ़ने की वजह से इनमें
से कई कंपनियां भारतीय बाजार
में तेजी से विकसित नहीं हो
पा रही हैं।
इस विधेयक में सरकारी जीवन
बीमा और साधारण बीमा कंपनियों
को आसानी से शेयर बाजार से पूंजी
जुटाने की भी मंजूरी दी जा रही
है। हालांकि यह सुनिश्चित किया
जाएगा कि किसी भी हालत में इन
बीमा कंपनियों में सरकार की
हिस्सेदारी 51 फीसद से कम न हो।
इसमें यह भी प्रावधान किया
जा रहा है कि देश में स्वास्थ्य
बीमा की कंपनी स्थापित करने
के लिए कम से कम 50 करोड़ रुपये
की आधार पूंजी चाहिए, जबकि साधारण
बीमा कंपनियों के लिए यह सीमा
100 करोड़ रुपये तय की गई है। इस
तरह से सिर्फ मजबूत स्वास्थ्य
व बीमा कंपनियां ही भारत में
प्रवेश कर सकेंगी। ऑटो इंश्योरेंस
के लिए सरकार एक अलग मोटर गाड़ी
बीमा व क्षतिपूर्ति कानून बनाएगी।
-एक्सकैलिबर स्टीवेंस विश्वास
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