जब बातें सोशल नेटवर्किंग साइट्स से निकलकर सोशल या गूढ़ सामाजिक हो जाएं (गूढ़ इसलिए लिखा क्योंकि सामाजिक होने और गूढ़ सामाजिक होने में यथार्थपरक फर्क है) तो समझ जाना चाहिए कि सत्ता विरोधी लहर अब राशन की दुकान में मापतोल को लेकर लड़ रही महिला तक भी पहुंच चुकी है। - See more at: http://hastakshep.com/?p=27982
संभलो, संभाल लो। वरना विरोध तो होगा
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