या जैसा कि जस्टिस काटजू के बारे में हमें लगता है कि वे हर समय वाद-विवाद प्रतियोगिता में प्रथम आने की धुन में लगे रहते हैं। अभिकरणों के बारे में रोज-रोज सवाल खड़े किये जायेंगे तो इनको स्थापित करने का मकसद कैसे पूरा होगा?..............read more
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सवाल जनतान्त्रिक संस्थाओं की साख का
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