अगर उन्होंने स्वयं आतंकवाद को धर्म से जोड़कर मुसलमानों को कटघरे में खड़ा करने और उससे राजनैतिक लाभ उठाने की परम्परा कायम न की होती तो शायद आतंक के इस चेहरे के सामने आने के बाद भी इसे मात्र आतंकवाद ही कहा जाता।..............read more
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बहस मरनी नहीं चाहिये शिंदे के भगवा आतंकवाद वक्तव्य पर
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