नरेन्द्र मोदी की आज की जो विराट छवि जनता के सामने पेश की गयी है वह एक छलावा है, मायाजाल है और उसे बुनने-बिछाने का काम कॉरपोरेट घरानों और उनके द्वारा नियन्त्रित मीडिया ने किया है। टाटा और अंबानी से लेकर छोटे-छोटे औद्योगिक घराने भी आज नरेन्द्र मोदी पर उसी तरह न्यौछावर हो रहे हैं जिस तरह 1932-36 के दौरान जर्मनी के पूँजीपति हिटलर पर मुग्ध हो रहे थे।
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अडवाणी हों या मोदी : क्या फर्क पड़ता है? | Hastakshep.com
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