Thursday, August 14, 2008

गबरू जवान हुआ एक किशोर

नदीम अख्तर

प्रभात खबर ने किशोरावस्था की दहलीज़ लांघकर जवानी की सीढ़ियों पर कदम रख दिया है। 14 अगस्त 1984 को शुरू हुआ कारवां आज (2008 में) 25वें वर्ष में प्रवेश कर गया। रांची से प्रभात खबर ने जो लंबी पारी की शुरुआत की थी, उसकी सार्थक परिणति धीरे-धीरे ही सही लेकिन दृढ़ता के साथ सामने आयी। हरिवंश जी के कुशल नेतृत्व में प्रभात खबर ने जो बुलंदियां हासिल की हैं, मीडिया समूह में उसकी मिसाल फिलहाल कहीं नज़र नहीं आती। एक गुमनाम अखबार को 24 वर्षों की अवधि में हरिवंश जी और उनकी टीम ने जिस अथक मेहनत से आज पूरे देश का एक आदर्श स्थापित स्वरूप प्रदान किया है, वह वास्तव में सीखनेवाली बात है। वैसे तो प्रभात खबर के इस सफर के कई साथी रहे, लेकिन आज भी श्रीनिवास जी, मधुकर जी, ओम प्रकाश अश्क जी, अनुज कुमार सिन्हा जी, विजय पाठक जी, विनय भूषण जी, अनिल झा जी जैसे लोग प्रभात खबर को जो बेशकीमती ऊर्जा दे रहे हैं, उसकी बदौलत अखबार बुलंद हौसलों के साथ आगे बढ़ता जा रहा है। प्रभात खबर के 25वें वर्ष के प्रवेश के अवसर पर अखबार की साज-सज्जा में बेहतरीन बदलाव लाये गये हैं, जो पाठकों को और रुचिकर पठनीयता प्रदान करने में सक्षम प्रतीत हो रहे हैं। प्रभात खबर के पचीस वर्ष पूरे होने के मौके पर एक पुस्तक के लोकार्पण की भी योजना है, जिसे निराला लिख रहे हैं, ऐसी खबर है। प्रभात खबर के 24 वर्ष पूरे होने और पचीसवें वर्ष में प्रवेश करने रांचीहल्ला टीम की ओर से ढेर सारी बधाइयां।

5 comments:

Rajesh Roshan said...

हरिवंश जी के साथ प्रभात खबर की पूरी टीम को ढेरो बधाई

संगीता पुरी said...

प्रभात खबर की पूरी टीम को ढेरो बधाई

Rajat Kr Gupta said...

अखबार नही आन्दोलन का नारा कायम रहे यही कामना है. २५ साल के दौरान अनेक किस्म की चुनौतियों का सफलता पूर्वक सामना कर प्रभात ख़बर आज जिस मुकाम पर है वो वाकई एक मिसाल है.

dahleez said...

prabhat khabar ke 25 saal pure hone par harivansh ji aur unki teem ko bahut bahut badhai. maine apni patrkarita ka safar prabhat khabar se hi shru kiya tha. un dinon 21 saal ke ek naye graduate ko harivansh ji ka seedha suppor mila. unse maine teen salon jo kuch sheekha usi ki kamai aaj bhi kha raha hun. maine hamesha unhi mandandon ko dhyan main rakha jo maine un dinon seekha. main yahi kahna chata hun ki jis naye patrakar ko harivansh ji jaisa sampadak mil jaye wo desh main kahin bhi bahut aaram se kaam kar sakta hai. prabhat khabar ka safar aise hi chalta rahe.

घन्नू झारखंडी said...

mujhe fakhra hai ki lagataar 12 saal tak main bhee pk ka sadasya raha. fakhra is baat ka bhee hai ki mere aarambhik guru harivansh ji rahe, jinse patrakarita ka kakahra seekha. main jab dilli men tha tab bhee harivansh ji ne mujhe wahi apnapan diya, jaisi unse apeksha thee. unki kalam aur tewar hamesha salamat rahe, yahi kaamna hai.
ghanshyam