Saturday, August 9, 2008

मैं भूत बोल रहा हूँ !!

हा-हा-हा-हा .....!!!! बंद! बंद! बंद! बंद!! हाँ-हाँ बिल्कुल यही सब तो देखता हुआ मै आपकी इसी रांची से परलोक की और कूच कर गया था !!बिल्कुल आपलोगों की तरह खामोश और भयभीत!!
कुछ लोग अपने घरों में दुबक गए हैं,क्योंकि कुछ लोग सड़कों पर भड़क गए हैं !!कुछ लोग कि जिनके चहरे हैं या लाठी ,डंडे और हथियार हैं,कुछ लोग कि जिनके ऊपर पागलपन सवार है ,कुछ लोग जो अपने गुस्से की नाव पर सवार हैं......और कुछ लोग जो अपने-अपने घरों में बेबस और बेदार हैं!!ये लोग कौन हैं...वे लोग कौन हैं !!
कोई गाड़ी किसी को चीप दे तो बंद!कोई किसी को मार दे तो बंद!कोई सड़क पर मर जाए तो बंद!कोई किसी की बात न माने तो बंद!कभी इसके समर्थन में बंद!कभी उसके विरोध में बंद!कभी मन्दिर का बंद!कभी मस्जिद का बंद!कभी इस दल का बंद!कभी उस दल का बंद!आज आदिवासी बंद!कल गैर-आदिवासी बंद!
असल में अब तो झारखण्ड में बंद की खुशियाँ मनाई जानी चाहिए,बाकायदा मिठाइयाँ बांटी जानी चाहिए!
नाच-गाने नगाडे की थाप पर बजाते झूमते लोगों की टोलियाँ जगह-जगह मस्ती करती नज़र आए तो समझिए यही अपने सपनो का सुंदर-सा,प्यारा-सा झारखण्ड है!!आज रांची बंद,हांजी!कल टाटा बंद,हांजी!परसों गुमला बंद,हांजी!फिर दुमका बंद,हांजी!..........सुनो ...सुनो...सुनो.....सरकार का ये फरमान है कि अब उसका बस किसी पर नहीं चलता है इसलिये जो शहर जिसके बाप का है वो उसे बंद करा ले !!खुला होना वैसे भी प्रशासन का सिरदर्द है,कौन जाने, कब कहाँ ,कैसा बम फट जाए!!लोग घरों में ही बंद रहें यही अच्छा है!!ना रहे बांस ...ना बजे बांसूरी !! मैं भी सौऊँ ,तू भी सो ...फ़िर सब कुछ अच्छा हो!!सब कोई अपने -अपने घर में सोएं,तो देश में बढ़ता बच्चा हो.... ज्यादा बच्चा माने ज्यादा मानवीय-श्रम की ताकत,ज्यादा श्रम माने देश का ज्यादा विकाश !!यही तो चाहते हैं सब आज!!इसलिये झारखण्ड के नक्शे-कदम पर चलो,हर तरफ बंद-बंद-बंद करते चलो !!! ठप्प हो जाए बिसनेस और व्यापार!!हों जाएँ यहाँ के लोग बेरोजगार!!और बंद से ही हो जाए सबको प्यार!!इस बंद के लोगो का बन जाए देश का इक झंडा,और जो बांको न माने,उसको पड़े इक तेल पिलाया डंडा !!जो परीक्षा में पास हो ,उसे मिले अंडा!!
और जो हो फेल ,वो फहराए योग्यता का झंडा!!!हा-हा-हा-हा!!!सब कोई करो रे मिल के बंद ,क्योंकि यही तो है तकनीक के इस युग में विकास झारखंडी फंदा!!
झूमो रे..नाचो रे आज...गाओ खुशी के गीत रे..गाओ खुशी के गीत रे .....आज बंद था, कल बंद होगा ...... पिछडेपन का सेहरा हमारे सर पर होगा!!!! मैं भूत बोल रहा हूँ ...मगर परलोक में भी झारखण्ड के आम लोगों... नेताओं... अफसरों... मंत्रियों .... ठेकेदारों के कारनामों से व्यथित होकर पागलों की तरह यहाँ से वहां ढोल रहा हूँ...
रब्बा खैर करे यहाँ के लोगों की....लोगों कुछ करो वरना ये लोग तुम्हारे साथ-साथ इस नवोदित राज्य को भी खा जायेंगे...तुम्हारे निशान भी यहाँ रह नही पाएंगे!!!!!

1 comment:

Renu goel said...

भूतनाथ जी ...कुछ समस्याओं का समाधान करिए ...
१.. क्या मरने के बाद इंसानियत जाग जाती है ?
२.... क्या आपकी दुनिया में भी कभी हड़ताल होती है ?
३..... क्या जिन्दा रहने के लिए मरना जरूरी है ?