मेरे पास ढेर सारी चीज़ें थीं -
मैं उन्हें काफी दिनों तक सहेजता रहा ,
मगर -
अंततः उनमें से एक भी चीज़ न बची !!
और -
मैं बिल्कुल अकेला रह गया !!
तब मैंने जाना कि चीज़ें ,
कभी सहारा नहीं बनती ,आदमी का ,
यहाँ तक कि साया भी नहीं !!
अंततः
आप भी नहीं बचते ,चीज़ों की तरह !!
फिर, एक दिन अचानक -
वे सारी चीजें -
मेरे पास वापस आ गयीं ,
और मैनें उन्हें -
समस्त पृथ्वी-वासियों में बाँट दिया -
मगर तब भी -
मेरे पास कुछ चीज़ें बच ही रहीं !!
तब मैनें उन्हें -
अन्तरिक्ष-वासियों को दे डाला !!
सबने मुझे धन्यवाद दिया,
और मैनें भी उन्हें ,
उनके ढेर सारे प्यार के लिए !!
मैनें पाया कि -
मेरी समस्त चीज़ें तो ,
मेरे पास ही मौजूद थीं ,
और भी सघन होकर -
सबके -
ढेर सारे प्यार के रूप में !!
2 comments:
bhut badhiya.
badhiya abhivyakti. dhanyawad.
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