Wednesday, October 1, 2008

ई-मेल की गली के पेंचोखम

विष्णु राजगढ़िया

आजकल पोस्टमेन का इंतजार नहीं रहता। न चिट्ठियों का। अब तो ई-मेल है। जब भी कंप्यूटर पर बैठो, पहले ई-मेल चेक करने की जल्दी। भले ही कितना इंपोर्टेंट वर्क क्यों न छूट रहा हो। ई-मेल देखने से ज्यादा जरूरी काम भला और क्या हो सकता है। इंटरनेट ने मनुष्य को घर-बैठे तत्काल पूरी दुनिया से जोड़ने की अद्भुत ताकत दे दी है। कुछ ही पलों में चाहे जितनी तसवीरें और फाइलें वर्ल्ड के किसी भी कोने में बैठे आदमी को भेज दें। पहले डाकिये के आने का एक टाइम होता था। उसके बाद नेक्स्ट दोपहर तक के लिए इंतजार खत्म। लेकिन अब तो ई-मेल के लिए हर घंटे-आधे घंटे पर इनबॉक्स चेक करना नेसेसरी लगता है। खासकर जिन लोगों का प्रोफेशन कंप्यूटर से जुड़ा है, जो घंटों कंप्यूटर पर बैठते हैं और जिनके लिए इंटरनेट यूज करना बिलकुल सहज काम हो, उनके लिए तो दिन भर में कई-कई बार ई-मेल चेक कर लेना बिलकुल नेचुरल है। उसमें भी जिन लोगों ने दो-तीन ई-मेल आइडी बना रखे हों, उनका तो कहना ही क्या। जिनके इनबॉक्स में कोई गुड न्यूज की कोई ई-मेल आती हो, उनके लिए कंप्यूटर का मतलब बु़द्धू बक्सा नहीं बल्कि सुखद अनुभव होता है। लेकिन जिनके पास ई-मेल के नाम पर अनवांटेड मेल आते हों, उनकी परेशानी देखते ही बनती है। हर दिन आपके पास तरह-तरह की लाटरी, बिजनेस प्रोपोजल इत्यादि के लुभावने ई-मेल आ सकते हैं। ऐसे ई-मेल से टाइम का कबाड़ा होता है। इसलिए खुद ई-मेल कंपनियों ने स्पैम का एक सेपरेट फोल्डर बना दिया है। आपके नाम पर भेजी गयी ज्यादातर फालतू ई-मेल खुद ही स्पैम फोल्डर में चली जायेंगी। यह जानना सचमुच इंटरेस्टिंग होगा कि किस सिस्टम से ऐसा होता है। हालांकि कई बार आपके लिए उपयोगी और जरूरी ई-मेल भी स्पैम फोल्डर में जा सकता है। इसलिए अपन तो इनबॉक्स के साथ ही स्पैम फोल्डर को भी देखना जरूरी समझते हैं। चेक करने के बाद ही स्पैम फोल्डर को इंपटी करते हैं। वैसे भी स्पैम ई-मेल के सेंडर और सब्जेक्ट को देखते ही समझ में आ जाता है कि इसे खोलने का मतलब टाइम वेस्ट करना है। लेकिन उस ई-मेल का क्या करें जिसका सेंडर आपका करीबी हो और सब्जेक्ट हो- मोस्ट अरजेंट? ऐसे ई-मेल को आप तुरंत खोलेंगे। लेकिन पता चला कि कुछ भी अरजेंट नहीं। उसमें तो कोई सस्ता जोक या कोई एडवाइस या शुभकामना संदेश या फिर कोई उपदेश है। बहुत से ई-मेल में कोई सब्जेक्ट ही नहीं होगा। लेकिन साथ में कोई ऐसा अटैचमेंट होगा जिसे डाउनलोड करने और खोलने में कंप्यूटर के पसीने छूट जायें। संभव है कि जिस फाइल फोरमेट या सॉफ्टवेयर में वह अटैचमेंट भेजा गया हो, उसे खोलने की सुविधा आपके कंप्यूटर में न हो। ऐसे में वैसे ई-मेल को खोलो तो मुश्किल, न खोलो तो मुश्किल। कई बार ऐसे ई-मेल कई-कई दिन इनबॉक्स में पड़े रह जाते हैं, अनखुले। लेकिन इन्हें भेजने वाला आपका कोई फास्ट फ्रेंड, कोई रिलेटिव, कोई कलीग हो सकता है। आपको हर बार लगेगा कि आप उस ई-मेल को न खोलकर उस व्यक्ति की उपेक्षा कर रहे हैं। लेकिन उसे खोलने से टाइम खराब होने का खतरा रहेगा। ऐसे लोगों के ई-मेल आपके लिए मनोरंजन या ज्ञानवर्द्धन का इन्स्टूमेन्ट हो सकते हैं। लेकिन कोई जरूरी नहीं कि काम के वक्त सबके पास हमेशा टाइम हो। जबकि ऐसे ई-मेल की जरूरत से भी इंकार नहीं कर सकते। आखिर कुछ तो पास टाइम हो। लिहाजा, जो ई-मेल कोई जरूरी मैसेज या किसी प्रेक्टिकल यूज के लिए नहीं बल्कि जस्ट फोर फन या टाइम पास या ग्रिटिंग्स के लिए भेजे गये हों, उनके सब्जेक्ट में इस बात को क्लीयर करना हेल्दी प्रेक्टिस मानी जायेगी। साथ ही, एटैचमेंट में हैवी फाइलें और हाइ-रीजोल्यूशन फोटो भेजने के बदले यह कलकुलेट करना जरूरी है कि कैसा एटैचमेंट भेजें जो सामने वाले के लिए प्रोब्लम क्रिएट न करे। अगर भावना में बहकर हर जान-पहचान के आदमी के पास भारी-भरकम ई-मेल भेजने के बजाय सिर्फ जरूरी लोगों के पास ईजी फोरमेट में तथा सब्जेक्ट की लीयर जानकारी के साथ भेजा जाये तो आपके ई-मेल को कई-कई दिनों तक इनबॉक्स में अनरीड मैसेज के रूप में पड़े रहने की दुर्गति नहीं झेलनी पड़ेगी। वरना कभी वह दिन भी आयेगा जब कंप्यूटर आपके करीबी लोगों के भी कचड़ा ई-मेल को खुद ही स्पैम फोल्डर में फेंक देगा।
आइ-नेक्स्ट 01-10-2008

3 comments:

Anonymous said...

बहुत ही साधारण सी लगने वाली बात आपने कितने अच्छे तरीके से समझाया. आपको धन्यवाद

नदीम अख़्तर said...

विष्णु सर की लेखनी का मैं कायल रहा हूँ. सर किसी ब्रेकिंग न्यूज़ से ज्यादा मेकिंग न्यूज़ पर ज़ोर देते हैं, जो इनकी ज़िन्दगी का एक पोजिटिव आस्पेक्ट भी है.

Udan Tashtari said...

बिल्कुल सहमत हूँ आपसे और आपके द्वारा दिये संदेश का समर्थन करता हूँ.