सामुदाियक पूजा के बाद पूजा सेिलबऱेशन का रूप लेता जा रहा है। अब दुगाॆ पूजा को ही लें। घर-घर में मनाया जानेवाला यह त्योहार इतना वृहद रूप ले चुका है िक अब पूजा गौण चुकी है और इसकी जगह भव्यवता ने ले ली है। हर ओर इस बात का शोर है िक कहां िकतना अिधक खचॆ हुअा है। यह अब त्योहार न होकर सेिलबऱेशन बन गया है। रात भर होने वाले कायॆकरम और सज धज कर घूमने और मस्ती करने का एक मौका। पहले घर-घर में यह त्योहार मनाया जाता था। सागदी से। कोई शोर-गुल नहीं। िसफॆ भिक्त औऱ अाराधना। ठाकुरों की हवेिलयों के िनकलकर जब देवी दुगाॆ सावजिनन हुईं तो उसका एक अपना महत्व था। पर वह महत्व घटता चला गया। इसे भी बाजार ने हाईजैक कर िलया है। कहीं कोई पंडाल एयरटेल है, तो कोई वोडाफोन का। कहीं धुनष माकाॆ तेल पऱायोजक है तो कहीं कोलाकोला। वह िदन भी दूर नहीं जब शराब के िवग्यापन भी िदखने लगें। जैसे ही अाप पूजा पंडाल में दािखल होगें, तो देवी की मूितॆ के नीचे िलखा िमलेगा इस मूितॆ के पऱायोजक हैं मैक्डोवल या एेसा ही कुछ। पंडाल के रंग िबरंगे कपड़ों पर भद्दे-भद्दे बैनर लगे िमलेंगे।
कोलकाता में तो इस साल दुगाॆ पूजा ने कारपोरेट रूप अिख्तयार कर िलया है। वहां के कुछ पूजा पंडालों के मैनेजमेंट का िजम्मा मल्टीनेशनल कंपिनयों ने ले िलया है। धीरे-धीरे दुगाॆ पूजा के रूप में िकतना पिरवतॆन हुअा है यह तो हमारी अांखों के सामने है, पर एेसा ही चलता रहा तो अागे क्या होगा कोई नहीं बता सकता।
1 comment:
बिल्कुल सही कहा आपने.... सादगी और पवित्रता का प्रतीक इन त्यौहारों को बाजार ने हाइजैक कर लिया है।
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