Monday, October 27, 2008

रात को कोई राया था !!

रात आँख खुल गयी
एक सपने ने छुआ था !
आँख भी नम थी,शायद
रात को मैं रोया था !!
आज वो खिल-खिल उठा
बीज जो मैंने बोया था !!
देर तक सोता ही रहा
बड़े दिनों से सोया था!!
आज वो बिखर ही गया
ख्वाब जो मैंने संजोया था !
मुझसे प्यार मांगता था
खुदा रु-ब-रु रोया था !!
था वो जनाजे में शामिल
जिसने मुझे डुबोया था !!
वो मेरे नजदीक था, पर
करवट बदल कर सोया था !
उसके आंसुओं से "गाफिल"
अपना जिस्म भिंगोया था !!

2 comments:

ghughutibasuti said...

बढ़िया ।
आपको व आपके परिवार को दीपावली की शुभकामनाएं ।
घुघूती बासूती

गोविंद गोयल, श्रीगंगानगर said...

bahut khub , narayan narayan