तकते-तकते राह आँख थक गई होगी....
रूह जिस्म से निकल ........कर ......
कहीं और चली गई होगी.....
आने वाले के कदम.....
किसी और दिशा में......
मुड़ गए होंगे.....
रात भी थक कर....
सो गई होगी.....
सुबह किसी बच्चे-सी निकल,
मचल गई होगी.....
आने वाला कुछ सोचता...होगा....
सबा बहकती हुई-सी ......
कानों में कुछ कहती-सी होगी....
जिस्म से इक......
धुंआ-सा निकलता होगा....
सोच में कुछ.......
पिघलता....हुआ-सा होगा....
आने वाला आता ही होगा....
साँस भी थम-सी गई होगी...
आने वाला बस.....
अभी ही आने को है......
दिल की हर धड़कन...
सुबक कर रह गई होगी....
आने वाला..........
बस आया ही आया.....
मगर ....ऐ.....दिल......
आने वाले को गर....
आना ही होता...
तो अब तक......
आ ही ना जाता...!!
3 comments:
lijiye men aa gaya.
बहुत खूब...
नीरज
वाह!!
अति सुन्दर!!
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