Sunday, November 2, 2008

हवा के घोडे पे सवार किया करते हैं !!

आंखों को आँख नहीं अशआर किया करते हैं,
तबियत को नासाज बार-बार किया करतें हैं !!
परवानों को जलने का कोई डर नहीं होता ,
ख़ुद को हर शै आग के आर-पार किया करते हैं !!
"सीमाओं" को किसी दुश्मन का डर नहीं होता ,
सीमा पर वो दुश्मन को ललकार किया करते हैं !!
जो लोग ख़ुद तो जीना जानते नहीं हैं वही अक्सर ,
सारी दुनिया का जीना बेवजह दुश्वार किया करते हैं !!
कमाने-खाने के लिए इस कदर पागल हुए जाते हैं कि,
ख़ुद को har wakt हवा के घोडे पे सवार किया करते हैं !!
तेरी दुनिया भी अजीब दुनिया हो गई है"गाफिल"
यां के वीर सामने नहीं पीठ पीछे वार किया करते हैं !!

2 comments:

seema gupta said...

तेरी दुनिया भी अजीब दुनिया हो गई है"गाफिल"
यां के वीर सामने नहीं पीठ पीछे वार किया करते हैं

"wah andaje-byan bhut accha hai...aaj kul ka jmana hai samne see vaar kene kee himmat bhee nahe hai kayar jo hain.."

Regards

नीरज गोस्वामी said...

बहुत अच्छे शब्द और भाव हैं आप की रचना में...लेकिन कहने में रवानी ना होने से बात खटकती है...लिखते रहें...बहुत शशक्त प्रयास है...
नीरज