इक भूत का हो गया रांची हल्ला है डेरा.....
अब कोई लगाता नहीं है यहाँ का फेरा.....
अब यहाँ रात होती है और ना सवेरा....
सबने जैसे कह दिया जा ये ब्लॉग है तेरा
अब इसमें रह ही क्या गया है गाफिल मेरा....
अकेला ही ये लगाता रहता है इसमें फेरा
आ भी जाओ यारों वरना ये भूतों का डेरा
न आओगे तो उखाड़ लूँगा अपना डंडा-डेरा
इसमें लगता नहीं है तनिक भी ये मन मेरा....
1 comment:
भूत देखने, हम चले आते है यहाँ!...
पर नजर नहीं आता, न जाने है कहाँ?
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