Saturday, December 13, 2008

७५ वां दिन.....सौवीं पोस्ट....मुझे माफ़ करें....!!

चलते-चलते जब भी मैं साँस लेता हूँ .........
इक लम्हा अपनी उम्र का रब को देता हूँ.....!!
मैं तो अपने-आप से अक्सर चौंक जाता हूँ....
मैं अपने-आप को अक्सर ही आवाज़ देता हूँ...!!
मौत भी जब मुझसे मायूस हो लौट जाती है....
ख़ुद ही उसकी चौखट पर मैं आहट देता हूँ...!!
क्यूँ हो जाता है यारब मुझसे बिन-बात खफा
जा ना अपनी उम्र तुझे मैं यूँ ही दान देता हूँ..!!
क्यूँ धरती पे ला पटका है मेरी मर्ज़ी के ख़िलाफ़...
वो तो मैं हूँ फिर भी तुझपर अपनी जान देता हूँ...!!
सुनाई देती है मुझे अक्सर उसकी ही धड़कन...
उसको याद करके "गाफिल"जब मैं साँस लेता हूँ...!!

2 comments:

नीरज गोस्वामी said...

सुनाई देती है मुझे अक्सर उसकी ही धड़कन...
उसको याद करके "गाफिल"जब मैं साँस लेता हूँ...!!
इतनी जल्दी सौवीं पोस्ट की बधाई...इस गति से लिखते रहे तो हजारवीं पोस्ट अधिक दूर नहीं...शुभकामनाएं....
नीरज

Alpana Verma said...

सुनाई देती है मुझे अक्सर उसकी ही धड़कन...
उसको याद करके "गाफिल"जब मैं साँस लेता हूँ...!!

वैसे ईश्वर को हमेशा ही याद रखना चाहिये

बहुत खूब!


[इतनी जल्दी सौवीं पोस्ट !बहुत खूब!बधाई!]