Sunday, January 11, 2009

झारखण्ड का मुख्यमंत्री कौन है मम्मी.....??

मम्मी झारखंड के मुख्यमंत्री कौन हैं....??.....मेरी सात साल की बच्ची ने अपनी मम्मी से पूछा.....मेरी पत्नी ने सवालिया निगाहों से मेरी और देखा और वही सवाल मुझपर दागा मेरे मुस्कुराने पर वो बोली...हँसते क्या हो मैं अखबार पढ़ती हूँ क्या...??आज बताती हूँ कि मरांडी हैं...तो कल मुंडा हो जाता है.....फिर कभी सोरेन....तो तीन बाद फिर मुंडा....कुछ दिन बाद फिर कौडा तो फिर सोरेन.....बच्चा सोरेन रटता है....तो फिर कोई चुनाव....और सोरेन की हार....और तो और....किसी के सी.एम्.पद से हटते ही कई दिनों तक कभी स्टीफन....कभी दुर्गा... कभी हेमंत....कभी रुपी....कभी कौडा....कभी बंधू...कभी हेमलाल.....कभी चम्पई....कभी कोई....कभी कोई.....मैं तो समझ ही पाती कि आख़िर झारखंड का सी.एम्. कब और कौन है....??....जब मुझे ही नहीं पता कि कब कौन है....तो बच्ची को क्या बताऊँ....??..........पत्नी की बात तो बिल्कुल ठीक थी.....मगर मैं भी इस सवाल में फँस ही गया...मैंने अपने मित्र को फोन लगाया....और छूटते ही उससे पूछा कि .....अरे यार सोरेन जी ने इस्तीफा दिया कि नहीं...... मित्र ने कहा...यार दस मिनट पहले तक तो ऐसी कोई ख़बर नहीं है.....उसके द्वारा ऐसा कहे जाने पर मुझे खीझ से ज्यादा मज़ा आया....मैंने और भी दोस्तों को फ़ोन घुमाया...सबका जवाब वही था....तब मैंने अपने छोटे भाई,जो उसी वक्त शहर के मुख्या चौराहे से आया था,से वही सवाल किया....तो उसने कहा...नहीं अभी तक तो "उ"इस्तीफा नहीं दिया है......तब मैंने पत्नी से कहा कि भई अभी तक तो "गुरूजी" ही मुख्यमंत्री हैं.....मगर आज ये बता तो दोगी और सवेरे उसके जाने के बाद अखबार मिलेगा.....और हो सकता है कि उसके स्कूल पहुँचने तक कोई और ही मुख्यमंत्री हो.....!!
.................मेरी पत्नी ने अपना माथा पकड़ लिया....और फिर जो कुछ उसने कहा...उसका सार यही था....कि ये साले सब के सब राज्य....देश....और यहाँ तक कि मानवता के भी दुश्मन हैं....और इनको बिना देर किए जेल भेज दिया जाना चाहिए...और अप्रत्यक्ष ढंग से उसने इन और इनके साथ देश के और भी तमाम नेताओं को तमाम गालियाँ दे डाली....!!......!!....!!
.................ये सब क्या है....क्यूँ है.....??और किस हद तक गहरा है....??हमारे देश के नेता समूचे विश्व में शायद सबसे ज्यादा गालियाँ खाते हैं.....अब तो लगता है....कि बस उनका जनता से सरेआम मार खाना ही बाकि है....!! ऐसा दिख पढता है कि किसी को भी आमद की आहात सुनाई नहीं दे रही है....और गुस्सा दिनों-दिन बढता ही जा रहा है....और यदि ये सच है तो आने वाले दिनों में क्या होने वाला है....ये सोचने से भी भय लगता है....!!
...........सवाल पुनः यही है....कि ये सब क्यूँ हैं...ये सब क्या है....और भारतीय राजनीती में यह सब कितने दिनों तक चलता रहेगा...??और क्या इन नेताओं का....याकि देश के ख़िलाफ़ काम करने वाले तमाम लोगों का निर्णय क्या भारत का अवाम सरेआम लेगा......याकि इसकी सज़ा आख़िर में किसी मध्ययुगीन परम्परा की तरह खौफनाक ढंग से दी जायेगी....??
..............विश्व का सिरमौर बनने के सपने देखता ये देश क्या ऐसे लोगों के साथ आगे बढेगा....??दो-चार क्षेत्रों में कुछ सफलता का स्वाद चखने वाला ये देश क्या सम्पूर्ण रूप में वाकई अनुकरणीय है....??......क्या इसकी वास्तविक समस्या....यानी कि इसके नेता....नागरिक....गन्दगी....गरीबी.....भुखमरी....बे-इमानी.....भ्रष्टाचार... धार्मिक मधान्धता......काहिली....अदूरदर्शिता...और गंदगी के सबसे छिछले स्तर को मात देती राजनीति का कोई वास्तविक निदान निकल भी पायेगा....??
..................मैं और मेरे ऐसे कितने ही लोग इन समस्याओं के पीछे पागल हैं....और इन चिंताओं के पागलपन के साथ अपना जीवन-यापन कर रहे हैं.....क्या हमारे रहनुमाओं को यह जरा भी अहसास है....कि....आम जनता के सीने में क्या घट रहा है.....और जो घट रहा है....वो अगर इसी रूप में सीने से बाहर निकला तो इसका परिणाम क्या होने वाला है...??