जेड गुडी पर कई बातें लिखी जा रही हैं। संवेदनशील लोगों से लेकर संवेदनहीनों तक को इस हिम्मतवाली लड़की को सलाम करते देखा जा रहा है। इसी कड़ी में डॉक्टर भारती कश्यप का एक लेख आया। लोगों ने सराहा। फिर भूतनाथ जी के लेख से नाइत्तेफाकी भी जतानेवाले लोग सामने आये। मोनिका गुप्ता जी ने यह लेख लिखा है, जेड पर, जो इसी बहस की अगली कड़ी कही जा सकती है। यहां प्रस्तुत है आलेख।
जिंदगी जिंदादिली का नाम है यहसच है और इसेसच साबित करदिखाया है सर्वाइकल कैंसर सेपीड़ित बिगब्रदर शो की जेड गुडीने। वह अपनी जिंदगी की आखिरीसांस गिन रही है। लेकिन जिंदगीके इस मोड़ पर भी आकर गुडी नेमुस्कुराना नहीं छोड़ा। जिंदगी औरमौत के बीच का फासला अगरकुछ समय का हो तो आदमीमातम की चादर ओढ़ लेता है।उसके लिए दुनिया के हर रंगबेमानी हो जाते है। लेकिन इसहालत में टीवी कैमरों के सामनेअपने एक एक पल का हिसाबमुस्कुराते हुए देना काबिल-ए-तारीफ है। हम हमेशा पश्चिमीसभ्यता की बुराई करते है। यहकहते हुए कि वहां पारिवारिकव्यवस्था नहीं, वहां रिश्तों कामहत्व नहीं, वहां किसी से किसीको मतलब नहीं आदि आदि।लेकिन इसी पश्चिमी सभ्यता में रहरहे गुडी के ब्याव फ्रेंड जैक ट्वीडने भावनात्मक लगाव के कारणउससे शादी की। देश या विदेशजहां हर जगह समाज में अघोषितरूप से विवाह के मूल में शारीरिकसंबंध की अवधारणा छिपी होती हैवहां केवल भावनात्मक लगाव केकारण विवाह करना हम सबकेलिए सीख लेने वाली बात है। वोभी विवाह उस समय जब शरीरसर्वाइकल कैंसर से पीड़ित हो, चेहरा कुरूप दिखता हो और शरीरकीमोथेरेपी और अन्य तरह केदवाई और इंजेक्शन से अटा पड़ाहो। ऐसे समय में जब एक व्यक्तिपीड़ित व्यक्ति को छूने से डरता हो, देखने से डरता हो ऐसे समय मेंविवाह करना यही इंगित करता हैकि जैक ट्वीड का प्रेम भौतिकप्रेम और उसकी परिभाषाओं सेकहीं ऊपर की चीज है जिसेसाधारण व्यक्ति के लिए आत्मसातकरना असंभव है। अपने ही देशकी बात करें तो पत्नी के हमेशाबीमार रहने पर जहां 50 फीसदीपति अपनी पत्नियों को मायकेछोड़ आते, जहां बेटी पैदा होने परपति समेत घर के लोग अपनी बहूसे मिलने तक की जहमत नहींउठाते, जहां किसी तरह कीक्रोनिक डिजीज हो जाने पर पत्नीको अलग कमरा दे दिया जाता है, उसका साथ बोझ लगने लगता, वोकिसी काम की नजर नहीं आनेलगती और उसके मर जाने की कामना की जाती वहां के लोगों कोसोचना चाहिए कि ये पश्चिमी सभ्यता के ही लोग है जो रिश्तोंका महत्व समझते है। हमें इनसे सीख लेने की जरूरत है।
2 comments:
बिल्कुल जी मैं सहमत हूँ आपसे । यह उदाहरण है हमारे सामने । किसी देश या राज्य से जोड़ कर न देखा जाना चाहिए । बल्कि प्यार और रिश्ते के रूप में देखा जाना चाहिए । वैसे गुडी एक साहसिक महिला है । जीवन के इस पल जबकि मौत कभी भी आ सकती है फिर भी खुश हैं । सलाम ऐसी महिला को ।
..............दोस्तों , सबसे पहले जैक ट्वीड के उस जज्बे को हमारा सलाम.......और सच कहूँ तो इन सब घटनाओं से हममें मानवता के प्रति फिर से विश्वास पैदा हो जाता है....वो vishvas जो कम-से-कम प्रेम के अर्थों में हममे से पूरी तरह छीज चुका है.....और उसकी जगह अब हमेशा लिए एक वितृष्णा हममे जन्म ले चुकी है....दोस्तों.....ट्वीड भाई सचमुच इक मिसाल के रूप में हमारे सामने हैं....और जेड़ गुडी का साहस भी मौत पर उनके अटूट विश्वास को रेखांकित करता करता है.........जब मरना तय हो ही गया........तो रोना काहे का.......हंसते हुए क्यूँ ना मरा जाए....दोस्तों.....मैं कहना तो यही चाहता हूँ कि जब मरना तय है ही तो फिर जीकर ही क्यूँ ना मरा जाए.........आईये ना इसी बात पर हम सब जी लें........सच्चे इंसानों की तरह....जेड़ गुडी जी....ट्वीड जी...आप सबको हमारा बहुत-बहुत-बहुत प्रेम............!!
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