Sunday, August 2, 2009

विस्फोट मीडिया ने लगाया प्रभात खबर पर बेबुनियाद आरोप : कुमकुम झा

'चोरी की खबर, प्रभात खबर' हेडिंग देख कर तो यही लगता है। एक फ्रीलांसर की गलती को हथियार बना कर झारखण्ड ही नहीं देश का मशहूर अख़बार प्रभात खबर को बेवजह बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है जब किसी फेमस ब्रांड को निशाना बनाया गया हो।२२ जुलाई २००९ को विस्फोट मीडिया ने एक खबर प्रकाशित किया, जिसमे प्रभात खबर पर राजस्थान पत्रिका से कंटेंट चुराने का आरोप है. खबर के मुताबिक राजस्थान पत्रिका के बुधवारीय सप्लीमेंट 'परिवार' में २४ जून को प्रकाशित 'पक्के पढाकू ये सितारे' शीर्षक का हूबहू कंटेंट प्रभात खबर ने ५ जुलाई को अपने सन्डे सप्लीमेंट 'रविवार' में प्रकाशित किया। कंटेंट में सोनिया गाँधी, एल के आडवाणी, अमेरिकी राष्ट्रपति ओबामा और शाहरुख़ समेत कुछ मशहूर फ़िल्मी हस्तियों के पढने के शौक के बारे में बताया गया है, जिसे प्रभात खबर ने पूरी तरह छाप दिया है। सिर्फ हेडिंग और लेखक का नाम बदला हुआ है। नकल ऐसी कि एक कौमा का भी अंतर नहीं है। विस्फोट के मुताबिक प्रभात खबर ने इस कंटेंट को राजस्थान पत्रिका के इंटरनेट संस्करण से उठाया है। इतना ही नहीं विस्फोट मीडिया ने प्रभात खबर पर कई बार ऐसी हरकत करने का आरोप लगाया है। प्रभात खबर की माली हालत का जिक्र करते हुए विस्फोट ने लिखा है कि ''प्रभात खबर कई बार स्वीकार कर चुका है कि वह संसाधनों की कमी से जूझ रहा है।'' इस खबर पर दिए अपनी प्रतिक्रिया में प्रभात खबर के रविवारी पत्रिका प्रभारी जेब अख्तर ने कहा है कि '' आपकी वेबसाईट पर प्रभात खबर से संबंधित खबर देखी। यह गलत नहीं है। यह गलती एक फ्रीलांसर लेखक की गलती के कारण हुई है, जिसकी रचना को मौलिक मानकर हमने इसे प्रकाशित कर दिया। हमने इसके लिए जिम्मेवार लोगों के खिलाफ कार्रवाई भी की है. प्रभात खबर की कार्यसंस्कृति में चोरी या नकल जैसी परंपरा न कभी रही है न रहेगी। हमारी टीम से यह गलती दोबारा नहीं होगी। आपसे आग्रह है कि इस पत्र को भी वेबसाईट पर खबर के साथ प्रकाशित कर दें’’। जेब अख्तर के इस बयान से साफ़ जाहिर होता है कि ये प्रभात खबर की एक भूल थी जो अन्जाने में हो गई। इसके लिए चोरी जैसे अपमानित भाषा का इस्तेमाल निहायत ही गलत है। एक फ्रीलांसर कई अख़बारों और पत्रिकाओं के लिए लिखता है। तो इस तरह की चूक कभी भी किसी भी मीडिया हाउस से हो सकती है। सही तरीका ये है कि पहले ख़बरों को परखा जाये और तह तक जाकर उसकी सच्चाई निकाली जाय, फिर उसे सही मकसद और सही भाषा के साथ प्रकाशित की जाये ताकि किसी विश्वसनीय और प्रतिष्ठित संस्थान की छवि को ठेस न लगे। विस्फोट मीडिया का मकसद एक नज़र में सही नहीं लगता है जो उसने वर्षों पुराने और बेदाग छवि वाले अखबार प्रभात खबर की भूल को नक़ल और चोरी जैसे शब्दों के साथ सस्ती खबर बना कर छाप दी.
लेखिका टीवी पत्रकार हैं। लेखिका से kumkum_jha19@yahoo.co.in पर संपर्क किया जा सकता है
मीडिया की सम्पूर्ण खबरें जानने के लिए पढ़े ''ख़बरदार मीडिया'' www.khabardarmedia.com

2 comments:

स्वप्न मञ्जूषा said...

देखिये गलती तो हुई है, और प्रभात खबर इस बात को मान भी रहा है, किसी और की रिपोर्ट अपनी रिपोर्ट बना कर छापने को 'चोरी' ही कहा जाएगा, आप अगर इसको नक़ल भी कहें तो क्या फर्क पड़ता है, बात तो सीधी सी है के किसी और की रिपोर्ट आपने छापी जो गलत बात हुई है, सिर्फ शब्दों का जमा पहना करा इसे dilute ही किया जाने कि कोशिश है और कुछ नहीं, प्रभात खबर कि जिम्मेवारी है कि किसी भी लेख को छापने से सबसे पहले उसकी मौलिकता की जांच करे, और पत्रकारों का तो यह धर्म है जिसे उन्हें हर हाल में निर्वहन करना है, फिर वो क्यों नहीं कहेंगे, हर कोई ऐसे ही मौके कि तलाश में रहता है, आपने मौका दिया, तो उन्होंने कहा, बस आप को अब झेलना है..... वैसे मैं तो कनाडा में रहती हूँ परन्तु जब भी भारत जाती हूँ हर सुबह प्रभात खबर ही पढ़ती हूँ क्योंकि मेरे घर भी यही अखबार आता है जिसे मेरे माता-पिता सुबह से ही चाटने में लग जाते हैं...बहुत ही अच्छा अखबार है आपका...बधाई स्वीकार करें.....

Anonymous said...

is akhabar ka sach isamen kam kar rahe our kam kar chuke logon ko bakhubi malum hai. yahan naitikata pakhnd kuch jyada hi hai.