Ek shayara kya khoob keh gayi hain:
आज फिर प्यार का इज़हार हुआ है
ये तमाशा तो कई बार हुआ है
जीतने का हुनर हम भूलने लगे
हारने का ग़म बार-बार हुआ है
कत्ल कहीं हुआ अफवाह सुनी थी
मालूम हुआ मेरा दिल हलाल हुआ है
पत्थरों के ढेर लग गए थे भीड़ में
काँच के दिलों से कुछ ज़लाल हुआ है
जाँ निकल गयी आँखों के रास्ते
तेरे इंतज़ार का ये कमाल हुआ है
ज़लाल=गुस्ताखी,ग़लती,भूल
1 comment:
जाँ निकल गयी आँखों के रास्ते
तेरे इंतज़ार का ये कमाल हुआ है
बहुत बढ़िया . लिखती रहिये. धन्यवाद.
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