Monday, November 30, 2009

छत्तीसगढ़ः पुलिस के निशाने पर पत्रकार

छत्तीसगढ़ से भाई आलोक जी ने एक सूचना भेजी है कि वहां कैसे पत्रकार राजसत्ता के निशाने पर हैं। बात मन मुटाव तक तो समझी जा सकती थी, लेकिन अब छत्तीसगढ़ में पुलिसवाले पत्रकारों को जान मारने की धमकी दे रहे हैं। वैसे हालात भले ही स्तब्धकारी हों, लेकिन छत्तीसगढ़ जैसे राज्य में ये तो होना ही था। जहां सरकार कथित नक्सलियों के खिलाफ गुंडा पार्टी खड़ी कर सकती है, वहां सत्ता की पोल खोलनेवाले पत्रकारों के साथ कुछ भी गलत हो जाये, तो हैरत नहीं होगी। आलोक जी के माध्यम से प्राप्त सूचना नीचे है, पढ़िये, विचारिये और प्रचार कीजिए दमन का, ताकि हम जागे रहें।
आरपीएफ अधिकारी ने दी जान से मारने की धमकी

छत्तीसगढ़ के गृहमंत्री ननकीराम कंवर द्वारा नक्सलियों और पत्रकारों के बीच सांठगांठ के बयान पर उठा विवाद अभी थमा भी नहीं था कि राज्य में रेलवे पुलिस ने भी पत्रकारों को अपने निशाने पर लेना शुरु कर दिया है. बिलासपुर रेलवे जोन में आरपीएफ के एक पुलिस अधिकारी ने पत्रकारों को चेतावनी दी है कि अगर पत्रकार रेलवे परिसर में आए तो उन्हें इसकी सजा भुगतनी पड़ेगी.

छत्तीसगढ़ के तेज़-तर्रार और युवा पत्रकार संजीव पांडेय लंबे समय से उन पुलिस अधिकारियों की आंखों को चुभते रहे हैं, जिनके भ्रष्टाचार की पोल खुलती रही है. दैनिक भास्कर बिलासपुर के इस युवा पत्रकार ने हाल ही में आरपीएफ की लापरवाही को लेकर खबर प्रकाशित की और जब इस खबर पर कार्रवाई शुरु हुई तो आरपीएफ के दोषी अधिकारी बौखला गये. सूत्रों की मानें तो पहले आरपीएफ के एक अधिकारी जी के राजपूत ने पत्रकार संजीव पांडेय को ठीक करने के लिए उन्हें शहर भर में तलाशा लेकिन बात बनी नहीं तो अपने फोन नंबर 97528 76704 से उन्हें फोन लगाया और उन्हें लगे धमकियाने.

पत्रकार संजीव पांडेय ने जब उन्हें दो टूक शब्दों में सभ्य भाषा में बात करने की चेतावनी दी तो जी के राजपूत नामक यह सिरफिरा अधिकारी लठैती की भाषा में आ गया. उसने पुलिसिया अकड़ में संजीव समेत तमाम पत्रकारों के लिए संदेश दिया की कोई भी पत्रकार अगर रेलवे परिसर में नज़र आया तो वे उन्हें गिरफ्तार कर लेंगे. इस अकड़ू अधिकारी ने साफ लहजों में संजीव पांडेय जी को चेतावनी दी कि अगर उन्होंने लिखना बंद नहीं किया तो वे अपने तरीके से जो कर सकते हैं, करेंगे. यानी मामला जान से मारने तक जा पहुंचा.

पत्रकार संजीव पांडेय ने इस धमकी भरी बातचीत को अपने सेल फोन से रिकार्ड भी किया और पत्रकार साथियों से चर्चा की. छत्तीसगढ़ के दूसरे सबसे बड़े शहर बिलासपुर के पत्रकार आरपीएफ की इस गुंडागर्दी से सकते में आ गये. सबसे पहले पुलिस में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज कराई गई. उसके बाद आनन-फानन में प्रेस क्लब की आपात बैठक बुलाई गई और इस तरह की पुलिसिया गुंडागर्दी की कड़ी निंदा की गई. बाद में पत्रकारों ने दक्षिण पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक से मुलाकात कर उन्हें इस मामले में कार्रवाई के लिए ज्ञापन सौंपा और धमकी वाले फोन की रिकार्डेड सीडी भी उन्हें दी.

पत्रकारों ने महाप्रबंधक को ज्ञापन में स्पष्ट किया है कि अगर एक सप्ताह के भीतर उक्त पुलिस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई नहीं की गई तो पत्रकार रेलवे जोन के समक्ष धरना देंगे.

पत्रकार संजीव पांडेय को आरपीएफ के अधिकारी द्वारा धमकी की राज्य भर में चर्चा है. पत्रकारों के अलावा विपक्षी दल समेत दूसरे राजनीतिक दलों ने भी इस घटना की निंदा की है.

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