जन्म से लेकर मृत्यु तक ही नहीं बल्कि मृत्यु के बहुत बाद तक अपने हित-साधन की व्यवस्था कर लेने के इस ब्राह्मणी कौशल पर शर्म तो आती ही है, गुस्सा भी आता है।,...................read more
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प्राचीन काल से ही ब्राह्मण "स्व-हित-रक्षक-बाज़ार-व्यवस्था" के पोषक रहे हैं
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