Sunday, July 21, 2013

गरीब के बच्चे की रोटी में ज़हर न मिलने पाये

पने देश में राजनीतिक विमर्श की भाषा अजीब शकल अख्तियार कर रही है। विकास के कुछ माडलों की बातें की जा रही हैं। हालाँकि जिन राज्यों के मॉडल को विकास का उदाहरण बताया जाता है वे पूरी तरह से नाकाम मॉडल हैं लेकिन बातों को कौन रोक सकता है। गुजरात मॉडल की असफलता पर पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। नीतीश कुमार ने अपने आपको गुजरात के मुख्यमंत्री से ज्यादा काबिल बताया है और  विकास का बिहार मॉडल चर्चा के मैदान में डाल दिया है। यह भी उतना ही नाकाम है जितना गुजरात मॉडल। …और अब तो इतने बच्चों की मौत के बाद नीतीश कुमार को भी अपने गुजरात के साथी की तरह विकास के मॉडल की बात करना बन्द कर देना चाहिए और अपनी राजनीति को ऐसी दिशा में मोड़ने की कोशिश करनी चाहिए जिस से एक कल्याणकारी राज्य की स्थापना की दिशा में ज़रूरी क़दम उठाया जा सके।

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