Thursday, May 8, 2008

अमेरिकी सेना : एक तिहाई महिलाअों का यौन शोषण


महिलाअों के साथ यौन शोषण के आरोप ने अमेरिकी सेना में खलबली मचा दी है। नदीम अख़्तर की रिपोर्ट
अमेरिकी सेना में एक तिहाई महिलाअों अौर छह फ़ीसदी पुरुषों ने माना है कि उनका यौन शोषण किया गया है। ये आंकड़े किसी निजी एजेंसी द्वारा जारी नह किये गये हैं, बल्कि यह हक़ीकत पेंटागन के सर्वे ने उजागर किया है। 14 मार्च को अमेरिकी रक्षा विाग द्वारा जारी की गयी रिपोर्ट के अनुसार कुछ वर्ष पहले के आंकड़ों की तुलना में महिलाअों के यौन शोषण के मामले में वृृद्धि दर्ज हुई है। यह सर्वे रिपोर्ट संयोग से ऐसे समय में आयी है, जब देश में राष्ट्रपति चुनाव की कि‘या चल रही है। चूंकि रिपब्लिकन पाट की सरकार के कार्यकाल के दौरान ही ये सर्वे किये गये, इसलिए ऐसा माना जा रहा है कि डेमोक‘ेटिक पाट की अोर से इस मामले को ी मुद्दा बनाकर सरकार को ेरने का यास किया जायेगा।
वैसे 1995 में इसी संबंध में हुए एक सर्वे के नतीजे की तुलना में ताज़ा आंकड़ों में सुधार देखा गया है। एक अलग रिपोर्ट में इस बात का ख़्ाुलासा किया गया है कि यौन संबंधी हसा के 2688 मामले पिछले साल काश में आये, जबकि एक साल पूर्व 2947 मामले काश में आये थे। हालांकि, अधिकारियों का यह कहना है कि वे लंबे समय से आंकड़े नह एकत्र कर रहे थे। फलस्वरूप यह पता नह चल पा रहा था कि सेना में यौन संबंधी हसा के मामलों में कोई गिरावट दर्ज की गयी है या नह। दोनों रिपोर्ट संसद द्वारा स्वीकृत हैं। यौन उत्पीड़न से संबंधित आंकड़े डिफेंस मैनपावर डाटा सेंटर (रक्षा मानवशक्ति आंकड़ा कें) द्वारा एकत्र किये गये हैं। ये आंकड़े हर चार साल में एकत्र किये जाते हैं। ताज़ा सर्वे में वर्ष 2006 में 23 हजार लोगों को शामिल किया गया था, जबकि वर्ष 2007 में यौन संबंधी हसा के मामलों के किये गये सर्वे में उन्ह आंकड़ों को रखा गया है, जो वास्तविक रूप में यौन हसा की शिकायत के रूप में दर्ज हैं।
अधिकारियों का कहना है कि सर्वे से इस बात के नतीजे निकले हैं कि स्त्री–पुरुष यह मानते हैं कि सेना में यौन संबंध के मामले में समूचे देश से बेहतर माहौल हैं। दूसरी अोर, जिन लोगों को आधार बनाकर सर्वे किया गया, उनमें से अधिकतर का मानना है कि सेना में यौन उत्पीड़न से संबंधित जो शिक्षण दिया जाता है, वह लाकारी होता है। सर्वे में जो कुछ पता चला है, उसके अनुसार 2006 में 34 फ़ीसदी महिलाअों ने कहा कि उनके साथ यौन उत्पीड़न हुआ है।
डिफेंस मैनपावर डाटा सेंटर की वरिष्ठ वैज्ञानिक रशेल लिपारी के अनुसार, असभ्य व आक‘ामक किस्म के व्यवहार में वैसी हरकतें ी शामिल होती हैं जिनमें किसी से बार– बार डेटग के लिए जबरदस्ती की जाती है या फिर ना कहने के बावजूद यौन संबंध बनाने के लिए किसी को मजबूर किया जाता हो। इस बार जो रिपोर्ट आयी है उसमें 34 तिशत महिलाअों ने यौन उत्पीड़न की बात कही है। जबकि वर्ष 2002 में यौन उत्पीड़न 24 फीसदी था अौर वर्ष 1995 में 46 फीसदी। करीब 5 फीसदी महिलाअों ने अनचाहे यौन संपर्क का अनुव किया। इसमें अनिच्छा से किसी का स्पर्श, यौन संबंध बनाने की कोशिश व पूरी तरह से यौन संबंध बनाना शामिल है। वर्ष 2002 में इस तरह की शिकायत करने वाली महिलाअों की सं‘या 2.7 फीसदी थी, जबकि वर्ष 1995 में 6.2 फीसदी। आधिकारिक तौर पर यह कहा जा रहा है कि वर्ष 2002 में जो आंकड़े सामने आये, वे त्रुटिपूर्ण ी हो सकते हैं, क्योंकि इस संबंध में 11 सितंबर 2001 के आतंकी हमले के बाद सर्वे किये गये थे। लिपारी कहती है कि अधिकारियों का ऐसा मानना है कि 9/11 के हमले के बाद लोगों की तिकि‘या देने के तरीके में असर पड़ा था। शायद उस समय लोग अपने साथ होने वाले किसी तरह के उत्पीड़न को नजरअंदाज कर रहे थे या हो सकता है कि लोग एक दूसरे से सहानुूति दिखाने के लिए ी ऐसे आरोपोें से बचना चाहते हों। अधिकारी यह कहते हैं कि रक्षा विाग के यौन दुव्र्यवहार से संबंधित शिक्षण के सकारात्मक परिणाम सामने आये हैं। करीब 90 फीसदी जवानों ने यह संकेत दिया कि उन्होंने पिछले साल यौन उत्पीड़न अौर यौन हसा निषेध से संबंधित जो शिक्षण लिया, वह उनके लिए लादायक साबित हुआ। वर्ष 2007 में 2688 वदधारियों के साथ यौन हसा के मामले सामने आये जबकि वर्ष 2006 में 2947 व वर्ष 2005 में 2400 मामले सामने आये थे। वैसे अधिकारी इस बात की चेतावनी ी देते है कि आंकड़ों को पेश करने के तरीके में बदलाव से वाषक तुलनात्मक अध्ययन का सटीक निष्कर्ष निकालना मुश्किल है। अमेरिकी रक्षा विाग के वक्ता ब‘ायन वाइटमैन के अनुसार आंकड़ों में नाममात्र की गिरावट से किसी निर्देशक अथवा बदलाव का संकेत नह मिलता। इसके लिए लगातार कई वषो के अध्ययन की जरूरत है। यौन हसा के मामले वर्ष 2006 में 24 फीसदी दर्ज किये गये जबकि वर्ष 2005 में यह 40 फीसदी थे। अधिकारियों का मानना है कि ुक्तोगी से खुलकर सामने आने पर पूरा सहयोग करने का वायदा ही इस तरह के मामलों को सामने लाता है।
अमेरिका में वर्ष 2007 में यौन उत्पीड़न के दोषी 181 सैन्य कमयों का कोर्ट मार्शल हो चुका है। 201 को असैनिक सजा मिल चुकी हैएवं 2018 को अन्य शासनिक कार्रवाई एवं बर्खास्तगी का सामना करना पड़ा है। 111 मामलों में कमांडर कोई कार्रवाई नह कर पाये क्योंकि ये एक असैनिक अदालत में चले गये थे या फिर किसी विदेशी ाधिकरण के पास। 131 मामलों में मूल विषय की ही पहचान नह की जा सकी। इसके अलावा 797 मामलों में आरोप से संबंधित पर्याप्त सबूत नह मिल पाये। 572 मामले अब ी लंबित हैं।
इन रिपोटो के बाद विपक्ष ने अपने स्वर तीखे कर दिये हैं। न्यूयार्क से कांग‘ेस की तिनिधि लुइस एम स्लटर कहती हैं–‘मुझे ऐसा लगता है कि काफी कम ुक्तोगियों को न्याय मिल सका है। जितने लोगों का उत्पीड़न हुआ है उन सी की मदद नह की गयी। अगर यह आंकड़े सही ी हैं तब ी सेना में महिलाअों के साथ हसा का मुद्दा व्यापक बना रहेगा।’
सेना में यौन हसा से संबंधित संकलित रिपोर्ट चौथे साल जारी की गयी है। हर साल सूचना एकत्र करने की पद्धति में बदलाव किया गया जिससे वाषक मूल्यांकन का कार्य बहुत कठिन हो गया। वैसे यौन हसा से संबंधित उन मामलों को इस रिपोर्ट में शामिल किया गया है जिनमें ुक्तोगियों को एक कार्यक‘म के तहत चिकित्सकीय सहायता व परामर्श की सुविधा तो दी गयी लेकिन इनमें से किसी ने विधि विाग अथवा कमांडर को इसके बारे में सूचित नह किया। वर्ष 2007 में जिन 2688 मामलों को इस सर्वे में शामिल किया गया उनमें से 705 निषिद्ध कार्यक‘म के तहत थे, लेकिन ुक्तोगियों को अपनी मानसिकता बदलने व बाद में जांच कराने के लिए छूट दी गयी। ऐसे मामलों में से केवल 102 ही ुक्तोगियों ने ही अपने विचार बदले जबकि 603 निषिद्ध कार्यक‘म के तहत ही रहे।
सेना में बढ़ रहे यौन हसा व उत्पीड़न के बढ़ रहे मामलों से राष्ट्रपति चुनाव में रिपब्लिकन पाट को कुछ परेशानियों का सामना जरूर करना पड़ सकता है। जानकार मानते हैं कि डेमोक‘ेट्स इन मामलों को चुनाव में ुनाने का कोई अवसर नह गंवायेंगे। फिलहाल डेमोक‘ेट उम्मीदवार के चुनाव में ही पाट की ऊर्जा खप रही है अौर जबतक यह साफ नह हो जाता कि पाट की अोर से राष्ट्रपति पद के लिए उम्मीदवार कौन होगा तबतक रिपब्लिकन या सरकार पर हमले तेज होने की संावना कम ही है।
द पब्लिक एजेंडा से साभार

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