अरुण कुमार बर्णवाल
झारखण्ड सरकार ने काफी इंतजार के बाद सूचना आयुक्त के नाम की घोषणा तो कर दी, परन्तु इसमें राजनीति का असर देखा गया । सूचना कानून को जन-जन तक पहुचने में अहम् भूमीका निभानेवाले विष्णु राजगडिया को नजर अंदाज कर दिया गया । विष्णु जी इस मुकाम तक नहीं जाएं इसमें उनके पुराने दोस्तों ने भी कोई कोर कसर नहीं छोड़ा । प्रभात खबर छोडने के बाद से ही उनके पीछे गुपचुप तरीके से यह प्रयास किया जा रहा था कि वह इसमें सफल न हों । इसमें वे सफल भी हो गये । देखा जाये तो झारखंड में सूचना के अधिकार को फैलाने में श्री राजगडिया ने काफी योगदान दिया है, उसपर राजनीति तो होनी ही थी। अभी सिर्फ़ इतना ही हुआ है कि एक और जनता के लिए काम करने वाले का मन कुछ देर के लिए टूटा है। सवाल तो कई हैं, लेकिन उससे होगा क्या। जो लोग आज सूचना आयुक्त कि कुर्सी पर बैठे हैं, उनकी योग्यता पर प्रश्नचिन्ह लगाने से बेहतर है कि साडी-गली व्यवस्था को ही ठीक करने का प्रयास किया जाए। झारखंड सरकार को कोटि-कोटि प्रणाम...!!
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