Sunday, September 7, 2008

मैं भूत बोल रहा हूँ !!

कई दिनों से बिहार के ऊपर उड़ रहा हूँ !बहुत सारे लोगों की तरह मैं भी यही सोच रहा हूँ कि क्या किया जाए , मगर जैसे कि कुछ भी करने का कोई बहाना नहीं होता,वैसे ही कुछ न करने के सौ बहाने होते हैं !सो जैसे धरती के लोग जैसे अपने घर के दडबों में कैद हैं,वैसे ही मैं भी बेशक खुले आसमान में तैर रहा हूँ ,मगर हूँ एक तरह से दड्बो में ही ....!चारों और जो मंज़र देख रहा हूँ ,मेरी रूह कांप रही है .....पानी ऐसा सैलाब ....तिनकों की तरह बहते लोग ,पशु और अन्य वस्तुएं ......बेबसी,लाचारी,वीभत्सता,आंसू,कातारता,पीडा,यंत्रणा.....और ना जाने क्या-क्या ...! उपरवाला दुनिया बनाकर क्या यही सब देखता रहता है?सीधे शब्दों में बात कहानी मुश्किल हो रही है,थोड़ा बदलकर कहता हूँ ......
ये जो मंज़र-ऐ विकराल है .....क्या है ............. हर तरफ़ हश्र है,काल है .......क्या है ?
पानी-ही-पानी है उफ़ ...हर जगह ,.................. कोशी क्यूँ बेकरार है ......क्या है ?
डबडबाई है आँख हर इंसान की ,................. बह रही है ये बयार है ...क्या है?
लीलती जाती है नदी सब कुछ को ,.............. गुस्सा क्यूँ इस कदर है .....क्या है ?
.....मुझको अपने ही रस्ते चलने दो ,........... ख्वाहिशें-आदम तो दयार है ..क्या है ?
मैं तो सबको ही भरती चलती हूँ ...,............. तुम बनाते हो मुझपे बाँध ...क्या है ?
मुझको हंसने दो.. खिलखिलाने दो ,................ मुझको छेडो ना इस कदर.. क्या है ?
कोई आदम को जा कर समझाओ,.................... धरती का चाक गरेबां है क्या है ?
हर तरफ़ खौफ से बेबस आँखें हैं,....................... मौत का इंतज़ार है .....क्या है ?
थाम लो ना इन सबको बाहों में ............कर रहे जो ये फरियाद है ...क्या है ?
कोई आदम का मुकाम समझाओ .......हर कोई क्यूँ बेकरार है ....... क्या है ?
जो भी बन पड़ता है इनको दे आओ .....वरना खुदाई भी शर्मसार है ...क्या है ?
किसने छीना है इनका चैनो-सुकून .....वो नेता है, अफसरान है .....क्या है ?
इनके हिस्से का कुछ भी मत खा जाना ,दोजख भी जाओगे तो पूछेंगे क्या है ?
नक्शे पे अब कुछ नज़र नही आता ....बाढ़ है या कि बिहार है .....क्या है ?
साल- दर-साल ये घटना होती है ,होती चली आ रही है ,हजारों लोग हर साल असमय काल-कलवित हो रहे है ,मगर ऐसी लोमहर्षक घटनाओं में भी तो अनेकानेक लोगों की तो चांदी ही कट रही है ! लोग ज़रूरत का सामान भी कई गुना ज्यादा महँगा बेच रहे हैं !नाव वालों का भाव शेयरों की तरह चढा हुआ है ! बहुत सारे राहतकर्मी ग़लत कार्यों में लगे हुए हैं !राहतराशि और सामान बाँटने वाले बहुत सारे लोग यह सब कुछ बीच में ही हजम कर जा रहे है !यह तो गनीमत है कि ऐसे मौकों पर अधिसंख्य लोगों में मानवता कायम रहती है ,सो बहुत काम सुचारू रूप से हो जाता है ,वरना तो पीड़ित लोगों का भगवान् ही मालिक होता !!मैं दंग हूँ कि ऐसे आपातकाल में भी कुछ लोग ऐसे निपट स्वार्थी कैसे हो सकते है ,जो शर्म त्याग कर इन दिनों भी गंदे और नीच कर्मों में ही रत रहे !!हे भगवान् इन्हे माफ़ कभी मत करना !!


5 comments:

Anonymous said...

bihar ke bare me abhee sirf itna hee kah sakte hain ki bas rahat kaary tezi se hon

Anonymous said...

बड़ी बुरी स्थिति है. सब मिल कर इस राष्ट्रीय आपदा से निपटें. हम लोगों को अपने अपने स्टार से भी मदद के लिए आगे आना चाहिए.

seema gupta said...

" ya i agree with you, its very painful and we can only wish that bihar should come out of this drastic situation.."

Regards

नदीम अख़्तर said...

पहले मैं बिहार के संकट को त्रासदी समझ रहा था, लेकिन अब लगता है कि वहाँ महाविनाश हुआ है. अब सिर्फ़ रहत कार्य चले. पुनर्वास सबसे अहम् पहलू है, जिसमें किसी भी जाति-धर्म के साथ भेद भाव नहीं होना चाहिए.

Anonymous said...

bhoot tumhari itani himmat kaise huee ki tum Indai or wo bhi Laloo ke pradesh me bolne ki himmat kar rahe ho abhi bhi samay hai apani aankhen band karo or jahan tumhari kabr hai wahan gus jao kahe pareshan ho rahe ho ?
dekho bhala hoga kitane saalon ke bad baad aaye hai kitane saalon ke baad logon ko khane peene ka mauka milega ?
or tumko padi hai
acha chodo chodo
maje karo
mauj karo
Gandhi Ji Bhi Bol Rahe the Uppar se ankh band karlo