Thursday, September 18, 2008

"गाफिल"जाने भी दो ना !!

दुनिया बदल रही है,इसे देखने दो ना ,क्या अच्छा है बुरा क्या समझने दो ना !!
रात को आराम से गुजर जाने भी दो,समय से पहले तो रौशनी को पकडो ना !!
खुदा के पास पहुँचने के हैं रस्ते कई ,सबको अपने ही रास्ते पे चलने दो ना !!
तलवारें चलाने से भला खुदा मिला है?हर किसी को उसकी खुदाई बख्शो ना !!
जिसके नाम पे हो जाते हो लामबंद ,कभी उसकी रज़ा को भी तो समझो ना !!
खिंच जाती हैं बात-बात पर तलवारें,अब इतना भी किसी बात को पकडो ना !!
अल्ला को तो खुला-खुला ही रहने दो,अपनी आदतों में तुम उसे तो जकडो ना!!
तेरे होने के भरम में जीता हूँ यारब ,कहाँ हो कभी घर आकर तो मिलो ना !!
तेरे नाम पे ठा-ठा करता है आदम ,यार इसके दिमाग को बदल डालो ना !!
इत्ती-सी बात को दिल में लिए बैठे हो,अब छोड़ो भी "गाफिल"जाने दो ना !!

1 comment:

manvinder bhimber said...

तलवारें चलाने से भला खुदा मिला है?हर किसी को उसकी खुदाई बख्शो ना !!
जिसके नाम पे हो जाते हो लामबंद ,कभी उसकी रज़ा को भी तो समझो ना !!
kitna achcha or sachcha likha hai