चुपके से वो रोता तो है…
रोते-रोते सपने भी बोता है……
ख़ुद को संभालता भी जाता है
हर पल ख़ुद को कहीं खोता है…
अक्सर ही वो अकेले में …
तन्हाई को आंसुओं से भिगोता है…
किसी को भूल जाने के लिए…
यादों को नश्तर चुभोता है…
अभी तो वो हंस रहा था…
और जाने क्यूँ अब रोता है…
अब तो ऐसा लगने लगा है कि …
यादें समंदर भरा एक लोटा है…
ख़ुदको भूलने के लिए “गाफिल”…
खुदा में ख़ुद को डुबोता है…
5 comments:
यादें समंदर भरा एक लोटा है…?? :)
अरे वाह जी!!..लिखते रहीयेगा
- लावण्या
बढ़िया ! क्या बात है !
घुघूती बासूती
अक्सर ही वो अकेले में …
तन्हाई को आंसुओं से भिगोता है…
किसी को भूल जाने के लिए…
" very impressive words, liked these lines very much.."
Regards
khoob......
waah! bahut sundar.....
likhte rahen.shubhkaamnayen.
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