Tuesday, November 11, 2008

वो क्यूँ रोता है.....!!

चुपके से वो रोता तो है…
रोते-रोते सपने भी बोता है……
ख़ुद को संभालता भी जाता है
हर पल ख़ुद को कहीं खोता है…
अक्सर ही वो अकेले में …
तन्हाई को आंसुओं से भिगोता है…
किसी को भूल जाने के लिए…
यादों को नश्तर चुभोता है…
अभी तो वो हंस रहा था…
और जाने क्यूँ अब रोता है…
अब तो ऐसा लगने लगा है कि …
यादें समंदर भरा एक लोटा है…
ख़ुदको भूलने के लिए “गाफिल”…
खुदा में ख़ुद को डुबोता है…

5 comments:

लावण्यम्` ~ अन्तर्मन्` said...

यादें समंदर भरा एक लोटा है…?? :)
अरे वाह जी!!..लिखते रहीयेगा

- लावण्या

ghughutibasuti said...

बढ़िया ! क्या बात है !
घुघूती बासूती

seema gupta said...

अक्सर ही वो अकेले में …
तन्हाई को आंसुओं से भिगोता है…
किसी को भूल जाने के लिए…
" very impressive words, liked these lines very much.."

Regards

डॉ .अनुराग said...

khoob......

रंजना said...

waah! bahut sundar.....
likhte rahen.shubhkaamnayen.