अब इसे महज इत्तेफाक कहें या फिर सुनियोजित अतिवाद लेकिन हकीकत यही है कि भारतीय जनता पार्टी के शासनवाले राज्यों में हिंसा का इस्तेमाल बहुत ही करीने से साम्प्रदायिकता और कट्टरता को बढ़ाने के लिए किया जाता है। गुजरात में नरेंद्र मोदी की सरकार ने लोगों को बताया कि कैसे एक गर्भवति महिला के पेट से भ्रूण निकाल कर उसे आग के हवाले किया जाता है, कैसे औरतों की इज्ज़त लूट कर बेशर्मी के साथ जय श्रीराम का नारा लगाया जाता है और कैसे मासूमों का कत्ले-आम किया जाता है, क्योंकि वे माइनॉरिटी में होते हैं। इसी प्रकार भाजपा समर्थित बीजू जनता दल की उड़िसा सरकार ने बताया कि ईसाइयों को कैसे नंगा कर गांव से भगाया जाता है, कैसे चर्चों को आग के हवाले किया जाता है और कैसे एक स्वामी जी की हत्या के कथित जुर्म में हजारों लोगों को इंसानियत से ही बेदखल किया जाता है। यह सूची काफी लंबी है। भाजपा और उसकी सरकारों ने इस देश को तोड़ने की जो मुहिम छेड़ रखी है, उसकी एक कड़ी अब दक्षिण भारत से भी जुड़ गयी है। अब तक दक्षिण क्षेत्र भगवा आचरण से अछूता था, लेकिन कर्नाटक के 'नाटक' के बाद येद्यूरप्पा की सरकार ने वहां के शिक्षित समाज में भी जहर घोलना शुरू कर दिया है। कर्नाटक में बीजेपी की सरकार बनने के बाद वहां चर्चों और ईसाई संस्थाओं पर हमले हुए और मशहूर चित्रकार मकबूल फ़िदा हुसैन की प्रदर्शनी में तोड़फोड़ की गयी। बात यहीं नहीं रुकती। श्रीराम के नाम पर स्थापित निर्लज्जों की एक फूहड़ सेना ने 24 जनवरी को एक पब में जाकर कोहराम मचाया। वहां लड़कियों के साथ जो व्यवहार किया गया, उसकी निंदा करने से बेहतर है कि लड़कियां खुद यह तय करें कि उन्हें तालीबानी व्यवस्था में जीना है या फिर एक सभ्य समाज में। काबुल में तालीबान का कहर कहीं से भी श्रीराम सेना से अलग नहीं था। इस खेल में सरकार की मिलीभगत तो होगी ही, क्योंकि श्रीराम के नाम पर राजनीति करनेवालों की ही सरकार आज कर्नाटक में है। मैं पूछती हूं कि अगर कल को किसी सरकार द्वारा समर्थित संगठन की ओर से यह घोषणा कर दी जाये कि अब किसी औरत को पानी नहीं पीना है, तो क्या श्रीराम सेना और इन जैसे आतंकी अपनी मां-बहनों को भी पानी पीने से रोकेंगे। शर्म है कर्नाटक सरकार पर, शर्म है भारतीय जनता पार्टी की सरकारों पर और शर्म है देश के नपुंसक कानून पर, जो सिर्फ दलालों को चांदी कटवाने के लिए ही स्थापित हुआ प्रतीत होता है। थू...
3 comments:
अब ये देश एक ऐसी जगह में तब्दील हो चुका है,जहाँ के राजनीतिक वर्ग के लोगों में से बुद्धि को बेदखल कर दिमाग निकाला दे दिया गया है.....और अब घसियारे लोग देश चला रहे हैं...और अपने-अपने मतलब की फसल काट रहे हैं...ना डोर हाथ में है....ना रकाब पाँव में है....ये देश चल रहा अब सिर्फ़ कांव-कांव में है.....!!और क्या कहूँ मैं....!!??
जो लोग इस बात की दुहाई देते है कि लड़कियों का पब में जाकर डांस करना भारतीय संस्कृति के खिलाफ है और ये पश्चिमी सभ्यता की देन है। शायद उन्हें इस बात का आभास नहीं कि संस्कृति शाश्वत होती है। सत्ता चाहे जो भी हो संस्कृति नहीं बदलती। संस्कृति का हवाला देकर हमेशा से ही पुरुष अपना अधिपत्य स्थापित करना चाहता है। इतने दिनों से जब हर रोज हजारों लड़के पब में जाकर शराब का सेवन कर रहे थे और वहां डांस करते थे उस समय श्रीराम सेना का ध्यान नहीं गया कि ये भारतीय संस्कृति के खिलाफ है। तबतक सब ठीक रहा लेकिन जहां लड़कियों ने निकलना शुरु किया तो पुरुषों को अपनी स्वतंत्रता खतरे में दिखाई देने लगी। अगर सही में आपको भारतीय संस्कृति की चिंता है तो पहले समाज के विकारों को समाप्त करें। मानसिकता बदलने की कोशिश करें। क्या बालिका होने पर बेटी को मार डालना भारतीय संस्कृति है। क्या घर में अपनी पत्नी को घरेलू हिंसा का शिकार बनाना भारतीय संस्कृति है। क्या लड़की होने के कारण उसे मनचाही शिक्षा नहीं प्राप्त करने देना भारतीय संस्कृति है। क्या देर रात काम करके लौटती लड़कियों का गैंगरेप करना भारतीय संस्कृति है। यदि सही में श्रीराम सेना या इस तरह के किसी भी संगठन को भारतीय संस्कृति की चिंता है तो पहले इन विकृतियों को समाप्त करने का प्रयास करें।
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