Sunday, February 8, 2009

बेईमान अभिव्यक्ति

मन बहुत अकुला रहा है
ख़ुद
को अभिव्यक्त नहीं कर पा रहा है

शरीर
इक शव बन गया है

और
दिल भी पत्थर हुआ जा रहा है

जिनको
सौंप कर
अपना
कीमती इक-इक वोट

निश्चिंत
हो गए हैं
एकदम
से हम
वही
हर
इक शख्स
हमारे
चिथड़े
-चिथड़े कर रहा है

और
हमारी चिन्दियाँ-चिन्दियाँ

नोच
-नोच कर खाए जा रहा है

दिन
भर की कसरत के बाद भी

किसी को नसीब नहीं बीस रुप्पल्ली
बीस-बीस हज़ार माहवार पाने वाला कामगार
रो
ज-ब-रोज हड़ताल पर जा रहा है

मेरे आस पास ये भूखे...नंगे
और
बदहाल लोगों की भीड़-सी कैसी है
मेरा
देश तो बरसों से ही

शाईनिंग
इंडिया की दुदुम्भी बजा रहा है

हर
तरफ़ गंदगी-ही-गंदगी का आलम है

अबे
चुप करके बैठ जा ना तू

मेरा
नेता अभी एसी की हवा में

चैन
की बंशी बजा रहा है

मेरा
दिल किसी करवट

चैन
ही नहीं पा रहा है

ना
जाने ये किस
आशंका से घबरा रहा है...

5 comments:

Saleem Khan said...

एक बिरहमन ने कहा है कि ये साल अच्छा है,
दिल को खुश रखने को ग़ालिब ये ख़याल अच्छा है.

राजीव करूणानिधि said...

बहुत बढ़िया...आभार..

नदीम अख़्तर said...
This comment has been removed by the author.
नदीम अख़्तर said...

रांचीहल्ला

Paise Ka Gyan said...

MLM Network Marketing in Hindi
EMI in Hindi