Monday, May 18, 2009

अब भी कायम है विश्वास

काफी दिनों से अपने यहां लोकल पॉलिटिक्स की चर्चा नहीं हुई है। इसलिए मैंने सोचा कि आज ज़रा इस टॉपिक पर भी कुछ गपियाया जाये। आज मैं अखबार देख रहा था, तो कमो-बेस सभी में रांची के पुनः निर्वाचित सांसद सुबोधकांत सहाय की तस्वीरें देखीं। उनकी तस्वीर देखकर मैं सोच रहा था कि आखिर जनाब इतनी जद्दोजहद के बावजूद कैसे जीत गये। बीजेपी और संघ परिवार ने तो झाविमो के माध्यम से उनकी फील्डिंग कर ही दी थी, फिर भी वो विजयी रहे, क्या कारण है? फिर मुझे लगा कि पहले देखता हूं कि इनके परंपरागत वोटर, मुसलमान कहीं खिसके तो नहीं। 31 हजार जो वोट आया है झाविमो के हाजी अख्तर अंसारी को, तो वो कहां से मिला। मतगणना के दिन अपने साथी पत्रकारों से जो आंकड़े मिले थे, उन्हें खंगालने से पता चला कि रांची से हाजी अख्तर अंसारी को केवल 2700 वोट मिले। रांची विधानसभा में मुस्लिम वोट कम से कम एक लाख है। इनमें से बहुत कम भी तो 40 हजार ने वोट ज़रूर दिया होगा। अब अगर ये सभी मुस्लिम मतदाता मुस्लिम प्रत्याशी को जिताने के झांसे में आकर झाविमो को वोट दे देते, तो सोचिये कि सुबोध कांत सहाय का क्या होता, क्योंकि इतना तो तय है कि सुबोध भैया को ही मुस्लिम वोट मिले हैं, क्योंकि उन्होंने मुस्लिम इलाकों में काफी काम भी किया है। यही वजह है कि बसपा के प्रत्याशी मो सरफुद्दीन को भी मुस्लिम वोट नहीं मिले। भाजपा को तो रांची से मुस्लिम वोट काफी कम मिलते हैं। तो समझ में यही आता है कि आज भी रांची शहरी क्षेत्र के मुसलमानों का विश्वास सुबोधकांत में कायम है।

1 comment:

निर्मला कपिला said...

ab log chahe hindu ho ya muslim ya sikh samajh gaye hain ki jat pat ke nare par vote mangane vale desh ke gaddar hain is liye logon ne sahi admi ko vote dia