जितेंद्र राम
यूं तो 15वीं लोकसभा का चुनाव परिणाम पूरे देश में चौकानेवाला रहा। लेकिन झारखंड के लिए भी कई मायनों में अहम रहा। परिणाम झारखंड के लिए कई नये रिकार्ड भी लेकर आया। इनमें से तीन प्रमुख हैं-
पहलाः इस बार झारखंड से कोई महिला सांसद नहीं बन पायीं। जबकि, 14वीं लोकसभा में झारखंड से दो सांसद जीती थीं। कांग्रेस की सुशीला केरकेट्टा खूंटी से और जमशेदपुर के झामुमो सांसद सुनील महतो की हत्या के बाद हुए उपचुनाव में उन्हीं की पत्नी सुमन महातो। हालांकि झारखंड के 14 लोकसभा सीटों के लिए मुख्य रूप से लगभग सात महिलाएं चुनाव मैदान में थीं। इन सात महिलाओं में से एक सिटिंग एमपी भी शामिल थीं। वे थीं जमशेदपुर से झारखंड मुक्ति मोर्चा की सुमन महतो, जो इस बार भाजपा प्रत्याशी और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा से लगभग 119663 मतों से हार गयीं। 13वीं लोकसभा में भी झारखंड से दो महिला सांसद थीं। एक जमशेदपुर से आभा महतो और दूसरी धनबाद से प्रो. रीता वर्मा (दोनों भाजपा)।
दूसराः झारखंड ही एक ऐसा राज्य है जिसके चारों के चारों पूर्व मुख्यमंत्रियों ने लोकसभा का चुनाव जीता और वह भी अलग-अलग पार्टियों से। झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी झाविमो से 48520 मतों से जीते, दूसरे अर्जुन मुंडा भाजपा से 119663 मत हासिल की, तीसरे मधु कोड़ा निर्दलीय से 88913 मत प्राप्त कर अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी को शिकस्त दी और चौथे मुख्यमंत्री शिबू सोरेन झामुमो से 18812 मतों से जीत हासिल की। इनमें से दो पूर्व मुख्यमंत्री पहली बार संसद की दहलीज पर कदम रखेंगे। इनमें मधु कोड़ा और अर्जुन मुंडा शामिल हैं, जबकि दो पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन पहले भी संसद में अपनी जगह बना चुके हैं।
तीसराः सबसे अहम रिकॉर्ड ये है कि झारखंड में पहली बार कोई उम्मीदवार जेल से चुनाव लड़ा और जीत हासिल की है। वे हैं झामुमो की टिकट पर चुनाव लड़नेवाले पलामू के सांसद कामेश्वर बैठा। जो इस राज्य में भी नहीं दूसरे राज्य (बिहार के सासाराम जेल) की जेल में बंद हैं। वे 23538 मतों से जीत कर विजय रहे। कामेश्वर बैठा दूसरी बार लोकसभा का चुनाव लड़ते हुए यह जीत हासिल की। इससे पूर्व 2007 में पलामू में हुए लोकसभा उपचुनाव में वे बसपा से चुनाव लड़े थे और राजद के घूरन राम से चुनाव हार गये थे। मालूम हो कि कामेश्वर बैठा नक्सली जगत के कुख्यात और इनामी थे। इससे पूर्व भी झारखंड में कभी कोई चुनाव जेल में बंद उम्मीवार ने नहीं जीता, चाहे वह चुनाव लोकसभा का हो या विधानसभा का।
चौथाः महज 14 लोकसभा सीटों वाले झारखंड राज्य में 15वीं लोकसभा चुनाव में मात्र तीन ऐसे सांसद बने जो 14वीं लोकसभा में भी निर्वाचित हुए थे। इनमें केंद्रीय राज्य मंत्री सुबोधकांत सहाय, बाबूलाल मरांडी और शिबू सोरेन (दोनों पूर्व मुख्यमंत्री) शामिल हैं।
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